उत्तराखंड में मिसाल बना स्विस दंपति, पलायन के बावजूद देवभूमि को अपनाया  

स्विस दंपतिनई दिल्ली। जहां धीरे-धीरे लोग अपनी भारतीय संस्कृति को भूलते जा रहे है वहीं स्विट्जरलैंड का एक ऐसा परिवार है जो पलायन के साथ भी भारतीय संस्कृति और परम्पराओं की मिसाल बना हुआ है।

बता दें कि उत्तराखंड में पलायन एक बड़ा मसला बना हुआ है। पलायन के वजह से सूबे के पहाड़ी गाँव धीरे-धीरे खाली होते जा रहे हैं।

भगत सिंह को इंसाफ दिलाने के लिए पाकिस्तान ने किया वो काम जो न कर पाया भारत न मोदी

वहीं बीते 17 सालों से पिथर लोथन का परिवार पहाड़ के पौड़ी जिले के यमकेश्वर में रह रहा है। पिथर का परिवार भारतीय सांस्कृति और देशभक्ति से पूर्ण है।

दुनिया के 35 देशों की सैर करने के बाद पिथर ने यमकेश्वर के घट्टूघाट गांव में अपना घर बनाया हैं। पिथर खेती बाड़ी भी करता है।

‘केंद्र के पास आपराधिक मामलों वाले सांसदों की फास्ट ट्रैक सुनवाई का अधिकार’

साथ ही पिथर ने अपने बच्चों को भी यमकेश्वर के ही एक छोटे से सरकारी स्कूल में पढ़ाया है। बच्चों का नाम भी पिथर ने भारतीय देवी-देवताओं पर ही रखा है। बेटी का नाम गंगा तो बेटे को गणपति नाम दिया है।

ईसाई से सनातन धर्म अपना पिथर लोथन अब भोले दास के नाम से इलाके में पहचाना जाता है। पिथर का परिवार गांववालों के साथ ऐसे घुल-मिल गया है कि गांव का हर शख्स इस परिवार की तारीफ़ किए बिना नहीं रह पाता।

 

LIVE TV