संदिग्ध विस्फोटक मामले पर विधानसभा में हंगामा, सरकार पर लगे लापरवाही के आरोप

संदिग्ध विस्फोटकलखनऊ उत्तर प्रदेश विधानसभा में पीईटीएन मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच मंगलवार को जमकर नोक-झोक हुई। नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने सदन में इस मुद्दे को उठाया और सरकार पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी विपक्ष को करारा जवाब दिया। नेता विपक्ष रामगोविंद चौधरी ने सदन के भीतर पिछले सत्र के दौरान कथित तौर पर बरामद किए गए पीईटीएन का मुद्दा नियम 300 के तहत उठाया।

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चौधरी ने कहा, “सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मुद्दे पर कहा था कि इसकी जांच आगरा में कराई जाएगी। उसके नतीजे का इंतजार किए बिना ही सरकार ने इस मुद्दे को एनआईए को सौंप दिया। फिर उतनी ही तेजी से एनआईए ने सदन के दो सदस्यों को उठाकर कड़ी पूछताछ की।”

उन्होंने कहा, “पूछताछ के दौरान दोनों सदस्यों को अपमानित करने का प्रयास किया गया। सरकार ने यह जाहिर करने का प्रयास किया कि पीईटीएन के पीछे विपक्ष का हाथ है। विपक्ष के सदस्य आतंकवादियों से मिले हुए हैं। यह सरकार साबित करना चाहती थी।”

रामगोविंद ने कहा, “पिछले सत्र में विपक्ष को बदनाम करने की पूरी साजिश थी। एसटीएफ पर भरोसा नहीं करके एनआईए को जांच सौंपी गई, लेकिन सदस्यों की अवमानना हुई है। सदस्यों की तरफ से विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी दिया जाएगा।”

चौधरी के इस बयान पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, “सरकार की मंशा किसी को अपमानित करने की नहीं थी। सरकार ने सदन की गरिमा और सुरक्षा को बरकरार रखने के लिए कदम उठाया था। आगे भी सरकार सदन की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगी।”

संसदीय कार्य मंत्री के इस जवाब से असंतुष्ट नेता प्रतिपक्ष ने अपनी कुर्सी से उठ गए और उन्होंने सरकार पर जवाबी हमला बोल दिया।

उन्होंने कहा, “आगरा में हुई जांच की फाइनल रिपोर्ट आने से पहले ही सरकार ने जांच एनआईए को क्यों सौंप दी। सरकार यह चाहती थी कि विपक्षी सदस्यों का आतंवादियों से संबंध बताकर उन्हें अपमानित किया जाए।”

इस पर खन्ना ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष अब अपनी सीमा लांघने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें इस मुद्दे को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए। सरकार पहले ही अपनी मंशा स्पष्ट कर चुकी है।

इसके बाद चौधरी ने कहा कि इस पूरे मामले पर नेता सदन को कठघरे में खड़ा किया जाए। वह इस पर अपना स्पष्टीकरण दें।

चौधरी के इस बयान के बाद विपक्ष के सदस्य वरिष्ठ नेता आजम खान के साथ अध्यक्ष के आसन के करीब आकर नारेबाजी करने लगे। सदस्यों ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष को बहुमत का घमंड हो गया है, इसलिए वह तानाशाही रवैया अपना रहा है।

हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने सदन को 50 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। इसके बाद जब सदन की बैठक दोबारा शुरू हुई तब खुद नेता सदन व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष के आरोपों का एक-एक कर जवाब दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा, “विपक्ष के सदस्य पीईटीएन मुद्दे पर दोहरा रवैया अपना रहे हैं। सर्वदलीय बैठक में पार्टियों के नेता कुछ और कहते हैं और सदन के अंदर आते ही उनका रुख बदल जाता है। बड़े दुख की बात है कि इस मुद्दे पर सभी दलों के नेताओं के साथ बैठक में बात हुई थी, और उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की गई। लेकिन कुछ लोग जानबूझकर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रहे हैं।”

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आदित्यनाथ ने कहा, “अच्छा हुआ कि पीईटीएन नामक पदार्थ विस्फोटक नहीं था। क्या सरकार यह इंतजार करती कि सदन के भीतर विस्फोट हो जाए और कई सदस्यों के हताहत होने के बाद यह कदम उठाया जाए। संदिग्ध पदार्थ की बात सामने आने के तुरंत बाद सरकार ने कार्रवाई की थी।”

योगी ने कहा, “सबके भीतर सच को स्वीकार करने का साहस होना चाहिए और सरकार ने वही किया जो उसे सही लगा। विधानसभा अध्यक्ष ने संदिग्ध विस्फोटक के बारे में जैसे ही जानकारी दी, तुरंत कार्रवाई की गई।”

योगी ने आगे कहा, “अच्छा होगा कि विपक्ष के सदस्य सदन के भीतर मार्यादित भाषा का इस्तेमाल करें। यदि विपक्ष को सत्ता पक्ष से अपेक्षा है कि वह उनके साथ अच्छा व्यवहार करे, तो पहले उन्हें खुद को संयमित रखना होगा। अन्यथा हम सत्ता पक्ष के प्रत्येक सदस्य को मर्यादा में रहने की गारंटी नहीं दे सकते।”

मुख्यमंत्री ने कहा, “विपक्ष को सुधरना होगा। नहीं तो हमें पता है कि हमाम में सभी नंगे हैं और उन्हें मर्यादा में रखने के लिए हमें क्या करना है।”

गौरतलब है कि पिछले विधानसभा सत्र के दौरान सदन के भीतर कथित विस्फोटक पदार्थ पीईटीएन के पाए जाने के बाद काफी हंगामा मचा था। इस मामले की जांच योगी सरकार ने एनआईए को सौंप दी थी। बाद में एनआईए ने सपा के दो विधायकों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। जांच के दौरान हालांकि पता चला कि पीईटीएन विस्फोटक पदार्थ नहीं था। इसी मुद्दे को लेकर विपक्ष ने मौजूदा सत्र के दौरान सरकार को घेरने का प्रयास किया है।

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