सांसदों और विधायकों के हक में दिया सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैंसला, जानें क्या था माजरा

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सांसदों और विधायकों के वकालत करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जो अधिवक्ता सांसद या विधायक हैं, उन पर अपने सदन के कार्यकाल के दौरान वकालत करने पर कोई रोक नहीं है।

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पीठ ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) का कोई नियम या कानून नहीं है जो उन्हें अदालत में वकालत करने से रोकता हो।

अदालत का यह फैसला अधिवक्ता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दाखिल याचिका पर आया है। उपाध्याय ने कहा था कि सांसदों और विधायकों द्वारा अधिवक्ता के रूप में काम करने से एडवोकेट एक्ट 1961 और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के तहत हितों का टकराव पैदा हो रहा है।

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याचिका में सांसदों और विधायकों को उनके कार्यकाल की अवधि तक वकालत करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।

कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, पी. चिदंबरम, पिनाकी मिश्रा, मीनाक्षी लेखी जैसे कुछ सांसद है, जो अधिवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं।

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