कन्या पूजन के नाम पर ऐसी कुरीति!

धर्म के नाम पर अंधविश्वासचेन्नई। जहां एक ओर नवरात्री के दिनों में माता की भक्ति में पूरा देश लगा हुआ है। वहीं आस्था के नाम पर अभी भी कुरीतियाँ जारी हैं। बुरी सोंच कहे या इंसान की गंदी मानसिकता। लेकिन इन सब से परे देवी की पूजा के नाम पर स्त्री जाती का घोर अपमान हो रहा है। यहां न केवल धर्म विशेष को मजाक बनाया गया बल्कि देवी पूजा के नाम पर लड़कियों की इज्जत और भविष्य की चिंता को भी धर्मान्धता के चलते एक सिरे से नकार दिया गया।

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मामला तमिलनाडु के मदुरै क्षेत्र का है। यहां अंधविश्वास के चलते देवी को प्रसन्न करने के लिए एक ऐसा कुकृत्य जरूरी बताया जा रहा है, जिसे जानकर किसी के भी होश उड़ जाएंगे।

बता दें नवरात्र के समय यहाँ देवी के स्थान पर लड़कियों को प्रतिमा के स्वरुप में बिठाकर उनकी पूजा और अनुष्ठान करने की रीति है।

मदुरै के मंदिर में लड़कियों को देवी के रूप में सुसज्जित करने का जो तरीका अपनाया जाता है, वो सोंच से परे और बेहद ही शर्मनाक है।

दरअसल लड़कियों को देवी के समान सजाने-सवारने के दौरान उनके वस्त्रों का भी परित्याग करा दिया जाता है। इसके बाद उनके शरीर के अग्र भाग पर महज आभूषणों के अलावा और कुछ भी नहीं रह जाता।

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इस अनुष्ठान में सात लड़कियों को शामिल किया जाता है। ये लड़कियां मंदिर में मौजूद पुजारियों के साथ 15 दिनों तक उसी अवस्था रहती हैं या यूं कहें कि उन्हें ऐसे रहने के लिए धर्म और रीति के नाम पर मजबूर किया जाता है।

जानकर और भी हैरानी तब होगी कि यह प्रथा किसी एक मंदिर तक सीमित नहीं है। इस परंपरा को तमिलनाडु के 60 गांवों में ठीक इसी तरह से निभाया जाता है।

इस मामले को जानने के बाद लोगों के दिल में यह भी सवाल उठता है कि क्या वाकई इस प्रकार की पूजा से देवी प्रसन्न होती हैं? या ये महज एक धर्मान्धता का पर्याय है।

इस अंधविश्वास को धर्म से जोड़कर परंपरा की तरह आगे बढ़ाते हुए लोग शायद यह भी भूल गए है कि इस रस्म के बाद अगर किसी लड़की के साथ कुछ गलत होता है तो ये पाप हर किसी के सिर लगेगा।

गौरतलब है कि इलाके के डीएम के. वीरा राव ने मामले की गंभीरता को समझते हुए आदेश दिए हैं कि सभी बच्चियों को कपड़े पहनाकर या फिर तौलिया लपेटकर ही पूजा में बिठाया जाए।

साथ ही डीएम के सख्त आदेश है कि किसी भी लड़की को जबरदस्ती इस पूजा में शामिल न किया जाए।

साभार – एनडीटीवी 

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