
दुनिया भर में बढ़ते वैश्विक तनाव और ड्रोन हमलों की घटनाओं के बीच भारत सरकार ने सिविल एयरपोर्ट्स की सुरक्षा को मजबूत करने का बड़ा कदम उठाया है। गृह मंत्रालय ने दिल्ली, मुंबई, श्रीनगर और जम्मू जैसे संवेदनशील एयरपोर्ट्स पर एंटी-ड्रोन सिस्टम लगाने का प्लान तैयार किया है।
यह पहली बार होगा जब देश के सिविल एयरपोर्ट्स पर इस तरह की उन्नत तकनीक बड़े स्तर पर तैनात की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रोजेक्ट को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा, जिसमें शुरुआती फेज में संवेदनशील लोकेशन्स को प्राथमिकता दी जाएगी।
यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सामने आए हालात, आधुनिक युद्ध में ड्रोन के बढ़ते इस्तेमाल और हालिया दिल्ली कार धमाके की जांच से जुड़े खुलासों के बाद लिया गया है। जांच में सामने आया कि जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी हमास की तर्ज पर ड्रोन से हमले की साजिश रच रहे थे, जिससे सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा था, जिसमें ड्रोन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन घटनाओं ने एयरपोर्ट्स जैसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाने के खतरे को उजागर कर दिया है।
गृह मंत्रालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इस पर कई उच्च-स्तरीय बैठकें हो चुकी हैं और सिस्टम की तकनीकी स्पेसिफिकेशन्स फाइनल करने के बाद इंस्टॉलेशन का रोडमैप तैयार हो जाएगा। पहले चरण में दिल्ली, मुंबई, श्रीनगर, जम्मू और अन्य संवेदनशील एयरपोर्ट्स को कवर किया जाएगा, उसके बाद गैर-संवेदनशील एयरपोर्ट्स पर भी विस्तार होगा। एयरपोर्ट ऑपरेटर्स को सुरक्षा मानकों के अनुरूप तकनीक लगाने के निर्देश दिए जाएंगे। इसके अलावा, अन्य देशों के एयरपोर्ट्स पर सफलतापूर्वक चल रहे एंटी-ड्रोन मॉडल्स की स्टडी भी की जा रही है, ताकि भारत के संदर्भ में सबसे प्रभावी सिस्टम चुना जा सके।
यह पहल न केवल आतंकी खतरों से निपटने में मदद करेगी, बल्कि नागरिक विमानन की सुरक्षा को भी नई ऊंचाई देगी। विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रोन टेक्नोलॉजी के दोहरे इस्तेमाल को देखते हुए यह कदम समय रहते उठाया गया है। गृह मंत्रालय की अगुवाई में यह प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ रहा है, और जल्द ही खरीद प्रक्रिया शुरू हो सकती है।





