भदोही पुलिस के सुनील दत्त ने बनाया गुमशुदा बच्चों की तलाशी का रिकॉर्ड

सुनील दत्तभदोही। उत्तर प्रदेश के भदोही पुलिस के गोपीगंज कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक सुनील दत्त दुबे ने गुमशुदा और अपहृत बच्चों की तलाश के मामले में एक रिकार्ड स्थापित किया है। गोपीगंज के पूरेटीका गांव के एक और बालक को तलाश कर उन्होंने सौ बच्चों को ढूंढ निकालने का शतक ही बना डाला है। एक ऐसा रिकार्ड बनाया है जो बाल अधिकार क्षेत्र में बहुत बड़ा कार्य है।

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भदोही जिले के गोपीगंज कोतवाली पर तैनात इंस्पेक्टर सुनील दत्त दुबे ने रियल सिंघम की बानगी पेश की है। अपहृत और गुमशुदा बालक व बालिकाओं की तलाश के अभियान के तहत उन्होंने शतकवीर बनने की कड़ी पूरी ली है। यह बाल अधिकार के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं ने दरोगा के इस नेक प्रयास की सराहना की है।

गुमशुदा बच्चों की तलाश के मामले में सबसे सुपरफास्ट एक्शन ‘ऑपरेशन तलाश’ की कार्रवाई को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले एसपी सचीन्द्र पटेल के इंस्पेक्टर गोपीगंज सुनील दत्त दुबे ने गोपीगंज थाना क्षेत्र के पूरेटीका निवासी नन्हकू बिन्द के पुत्र अविनाश उर्फ गौरी नामक 13 वर्षीय गुमशुदा बालक की तलाश कर शतकवीर (100) बच्चो को तलाशने की मंजिल हासिल ली हैं।

यह बात इसलिए भी खास मायने रखती है कि आज सुरक्षा के साथ ही तमाम मांमलो में पुलिस की जिम्मेदारी लगातार बढ़ी है। बावजूद इसके बच्चो की तलाश में रुचि लेकर किसी दरोगा द्वारा इसे सौ के आंकड़े तक पहुंचाना बड़ी बात है।

गोपीगंज कोतवाली प्रभारी निरीक्षक सुनील दत्त दुबे अपने शुरुआती सेवाकाल से ही गुमशुदा बच्चों की तलाश में रुचि लेते रहे। मूलत: इटावा जिले के निवासी सुनील दत्त दुबे ने बच्चों की तलाश के इस कार्य को चुनौतीपूर्ण ढंग से लेते हुए इसे अपने फर्ज और कर्तव्य का एक अहम अभियान बनाया और हर जिले में तैनाती के दौरान उन्होंने पूरी रूचि लेकर बच्चों की तलाश की। यह सिलसिला नब्बे के दशक से शुरू अब-तक जारी है। भदोही जिले में नब्बे के पार से शुरू यह सिलसिला आज शतक तक आ पहुंचा है।

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गुमशुदा बच्चों की तलाश अभियान में सौ का आंकडा पूरा करने वाले इस पुलिसवाले ने अपने इस कार्य के जरिए समाज में पुलिस की इंसानियत की बानगी भी पेश की है। यह बात इसलिए भी खास मायने वाली है क्योंकि पुलिस को हमेशा डर की नजरों से देखने और चूक पर कोसने वाले समाज के ही लोग

आज की बदलती भदोही पुलिस की इंसानियत को देख तारीफ करने से नहीं चूक रहे। मासूम बच्चों और उनके परिवार की मिलन दुआओं ने हौसले की इस कड़ी को नया आयाम दिया।

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