जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिति है कमजोर, तो इन उपायों से होगा कल्याण

जन्मकुंडलीज्योतिषशास्त्र में बारह ग्रह होते हैं। बारह ग्रहों का अपना विशेष महत्व है लेकिन सूर्य अर्थात् रवि या सूर्यदेव का अपना अलग महत्व है, सूर्य ग्रह से व्यक्ति के भाग्य में कीर्ति, यश, सुख-समृद्धि, तेज, बल, साहस, तेज, आरोग्यता, बल, साहस, प्रताप की प्राप्ति होती है।

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सूर्य यदि जन्मकुंडली में बलवान होता है तो जातक भाग्यशाली होता है। यदि जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर होती है तो जातक को कई तरह की परेशानियां भी होती हैं। सूर्य का विभिन्न ग्रहों के साथ एक ही भाव में आना उस ग्रह से सूर्य देव की युति कहलाता है। जैसे यदि सूर्य-बुध ग्रह के साथ एक ही भाव में हो तो इसे सूर्य बुध की युति या बुधादित्य योग कहा जाता है।

यही नहीं अन्य ग्रहों के साथ सूर्य की युति बहुत ही अच्छी होती है। यदि सूर्य देव का प्रभाव जन्म कुंडली में अधिक बलवान न हो तो भी इनकी कृपा कुछ प्रयत्नों से प्राप्त की जा सकती है।

इस दौरान भगवान सूर्य की रविवार को विशेष आराधना उत्तम होती है। इसके लिए प्रातःकाल उदित होते सूर्य को स्नान करने के उपरांत शुद्ध जल एक तांबे के पात्र से अध्र्य के रूप में समर्पित करें।

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यही नहीं इस दौरान ऊॅं घृणिः सूर्याय नमः मंत्र का उच्चारण भी करें। इससे भगवान सूर्य की कृपा मिलेगी। भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए रविवार के दिन माता गायत्री का पूजन करें, इस दिन यज्ञ या फिर होम-हवन करवाना भी श्रेष्ठ होता है।

भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना अच्छा होता है। भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए रविवार के दिन लाल तत्व का दान करना। सूर्य यंत्र का पूजन करना भी अच्छा उपाय होता है।

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