पुलिस ने दिए ऐसे आंकड़े, जिससे सरकार और सुरक्षाबलों के दावों पर खड़े हुए सवाल

रिपोर्ट- अमर सदाना 

छत्तीसगढ़। बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ लगातार ऑपरेशन चलाये जा रहे हैं और बड़ी सफलता भी मिल रही है। सुरक्षाबलों के साथ साथ नक्सलियों ने भी अपने पर्चे में उन्हें हुए बड़े नुकसान का जिक्र किया है। और यही वजह भी है की सरकार 2022 तक छग से नक्सलवाद के खात्मे का दवा कर रही है। यदि पुलिस के ही एक और आंकड़ो पर नजर डाली जाये तो इन दावों पर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं।

नक्सली

दरअसल एक अंग्रेजी अख़बार द्वारा जारी पुलिस के आंकड़ों के अनुसार छग निर्माण से अब तक केवल बस्तर में ही नक्सलियों ने जवानो से 700 से अधिक ऑटोमेटिक व सेमी ऑटोमेटिक हथियार लुटे हैं। जिनमे से अब तक सुरक्षबलों ने केवल 15 प्रतिशत हथियार ही रिकवर कर पाए हैं। जिससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि केवल बस्तर में ही अभी 500 से अधिक बड़े  हथियार नक्सलियों के पास हैं।  ऐसे में माओवाद के खिलाफ  लड़ाई एक बड़ी चुनौती होगी।

दरअसल तीन दशकों से भी अधिक समय से बस्तर में राज करते नक्सली हमेशा से विकास में बाधा  बने हुए हैं।  ऐसे में अब सरकार ने भी इन्हे समाप्त करने कमर कस ली है और इसके लिए एक डेडलाइन भी जारी कर दिया है कि किसी भी हाल में छग से 2022 तक नक्सलवाद पूरी तरह समाप्त कर दिया  जायेगा।  प्रदेश के मुखिया ने तो उन्हें यहाँ तक चेतावनी दे दी है की समर्पण कर दें अन्यथा मार दिए जायेंगे।

हालांकि नक्सलियों के खिलाफ फ़ोर्स भी अब पूरे आक्रामक मोर्चे पर आ गई है।  प्रहार वन और टू  के सफल होने के बाद अब ऑपरेशन मानसून चलाया जा रहा है। नक्सलियों के सेफ जोन  में घुसकर बड़े ऑपरेशन किये जा रहे हैं और उन्हें  मारकर  हथियार भी बरामद किये जा रहे हैं। पर वहीं दूसरी ओर पुलिस के ही सरकारी आंकड़े भी कई सवाल पैदा कर रहे हैं।

आंकड़ों  के अनुसार छग के निर्माण के बाद अब तक केवल बस्तर से ही लगभग 750 ऑटोमेटिक व सेमी ऑटोमेटिक हथियार के साथ साथ 14 यूबीजीएल जैसे खतरनाक ग्रेनेट्स भी लुटे गए हैं। और इन अट्ठारह वर्षों में हुए लगभग तीन हजार से भी अधिक मुठभेड़ों में अब तक लगभग 100 के आसपास ही हथियार वापस बरामद किये जा सके हैं। वहीं यूबीजीएल एक भी बरामद नहीं किया जा सका है। जिससे इस बात का अंदाजा साफ़ लगाया जा सकता है की अब तक जवानो द्वारा केवल निचले स्तर  के ही नक्सलियों को मार पाने में सफल हुए  है।

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माओवादियों की बड़े स्तर के सदस्यों तक फ़ोर्स अभी पहुंची ही नहीं है। ये वही सदस्य  हैं जो संगठन को निर्देशित करते हैं। तो ऐसे में इन्हे ख़त्म करना कितनी बड़ी चुनौती होगी इस सवाल पर बस्तर आईजी का कहना कि बीते दो वर्षों में बड़े हथियार ज्यादा रिकवर किये गए हैं। डीआरजी के जवान पहले की तुलना में ज्यादा सफल साबित हो रहे हैं। और नक्सलियों के पास निश्चित ही बड़े हथियार हैं पर उनके पास कारतूसों की संख्या काफी काम होती जा रही है जिससे उनके पास के हथियार अब बेकार होते जा रहे हैं।

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