कलयुग में पैदा हुआ श्रवण कुमार, मां को भोलेनाथ के दर्शन कराने के लिए उठाई पालकी

रिपोर्ट- लोकेश टण्डन

मेरठ। सावन का महीना चल रहा है और शिव भक्त कांवड़ यात्रा पर निकल चुके हैं। कोई नंगे पैर तो कोई कांवड़ लिए भोले बाबा के दर्शन को जा रहा है लेकिन एक कलयुग का श्रवण कुमार कांवड़ पर अपनी मां को लिए भोले नाथ के दर्शन कर हरिद्वार से मेरठ तक पैदल आया है।

कलयुग का श्रवण

आज मेरठ में एक ऐसी भक्ति देखने को मिली जिसमें भक्त भगवान के प्रति जितना श्रद्धावान है। मां की ममता के प्रति भी उसकी उतनी ही आस्था है। भगवान शिव में आस्था रखने वालों के लिए सावन का महीना सबसे पवित्र माना जाता है। इस महीने में शिव भक्त गंगा से जल भर कर पैदल चलते हुए और सौन्दर्य यात्रा को पूरा करते हुए देश-दुनिया भर के शिवालयों में जल चढ़ाते हैं। वहीं आज मेरठ में एक ऐसा ही शिव भक्त देखने को मिला जो गंगा जल लेकर भोले बाबा के शिवालय की ओर बढ़ रहा है। पर इस शिव भक्त को अगर कलयुगी श्रवण कुमार कहे तो ये भी उसके लिए सटीक बैठेगा।

जहाँ श्रवण कुमार ने अपने बूढ़े माता पिता को तराजूनुमा पालकी में बैठा कर तीर्थ यात्रा करवाई थी वहीं मेरठ के परतापुर में भी आज एक बेटा सतेन्द्र कुमार कलयुग का श्रवण कुमार बन गया। शिव भक्त सतेंद्र अपनी बूढी माता रोशनी देवी को तीर्थ यात्रा पर लेकर निकला, उसे भी मां को तीर्थ करवाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

यह भी पढ़े: ग्रामीणों और आश्रम के साधु-संतों के बीच हुआ बवाल, झड़प का कारण बनी साध्वियां

बता दें कि सतेन्द्र कुमार ने तराजू नुमा पालकी में एक तरफ अपनी माँ रोशनी देवी को बैठाया और वही दूसरी पालकी में माँ के भार के बराबर अमृत गंगाजल रखा और फिर हरिद्वार से मेरठ तक यह यात्रा बड़ी मशक्कत और कठिनाई से पूरी की। इस यात्रा को पूरा करने में सतेंद्र को लगभग 15 दिन लग गये। जब श्रद्धालु मेरठ की सरजमीं पर पहुँचा तो अन्य भव्य कावड़ शिविरों में उनका भव्य स्वागत किया गया और उनकी पूजा भी की गई। इसके साथ ही सतेंद्र कुमार और उनकी माँ ने सभी श्रद्धालुओं व देशवासियो को सन्देश भी दिया कि सभी को अपने माता-पिता की हमेशा सदैव सेवा करनी चाहिये।

LIVE TV