धोनी की तरह फिनिशर निकले ‘शिवराज’, चुनाव से पहले खेल दिया ‘कंप्यूटर’ गेम

भोपाल। मध्य प्रदेश में सियासत उस वक्त गरम हो गई जब शिवराज सरकार ने नर्मदा घोटाले का आरोप लगाने वाले संतों को अपने मंत्रालय में जगह दे दी। बता दें सीएम शिवराज सिंह ने 5 बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा देने का फैसला लिया। इसमें उन दो बाबाओं का नाम भी शामिल किया गया जो न केवल सरकार के विरोध में थे, बल्कि नर्मदा मामले में सरकार के खिलाफ एक बड़ी मुहीम की शुरुआत कर चुके थे। ऐसे में शिवराज का यह कदम लोगों में संशय पैदा करता है।

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शिवराज सिंह

शिवराज के इस ऐलान के बाद से विपक्ष हमलावर हो गया। कांग्रेस ने शिवराज को निशाने पर लेते हुए नर्मदा मुद्दे को उठाया। साथ ही अवैध खनन मामले में भी दखल दी।

खबरों के मुताबिक़ मंगलवार को सीएम शिवराज ने नर्मदानंद महाराज, हरिहरनंद महाराज, कंप्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और पंडित योगेंद्र महंत को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया।

रोचक बात यह है कि इस फैसले से ठीक पहले संत समाज की एक बैठक में शिवराज सरकार पर नर्मदा घोटाले का आरोप लगाया गया था।

साधु-संत समाज ने शिवराज सरकार पर आरोप लगाए थे कि नर्मदा के किनारे 6 करोड़ पौधे लगाने का दावा किया गया है जिसका नामोनिशान नहीं है। इसके अलावा अवैध उत्खनन किया जा रहा है।

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मामले में 45 जिलों के साधु-संत समाज ने 45 दिन की नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने का ऐलान किया था। यह रथयात्रा एक अप्रैल से शुरू हो गई थी और इसे 15 मई तक चलना था।

इस यात्रा का नेतृत्व कंप्यूटर बाबा कर रहे थे और इसके संयोजक पंडित योगेंद्र महंत थे। इन दोनों का ही नाम उन पांच बाबाओं में है जिन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिला है।

अब मंत्री बनते ही इन बाबाओं के सुर बदलते नजर आ रहे हैं। कंप्यूटर बाबा का कहना है कि शिवराज सरकार ने उनकी मांगें मान ली हैं। नर्मदा पर एक समिति बना दी है और हमें उसका सदस्य बना राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया है।

वहीं इस बात की भी चर्चा हैं कि अपनी नर्मदा यात्रा समाप्त करने के करीब पहुंच चुके दिग्विजय सिंह को इसका राजनीतिक फायदा उठाने से पहले शिवराज ने सधी हुई चाल चल दी है।

फिलहाल बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा देने के सवाल पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने चुप्पी साध रखी है।

चुनावी माहौल में शिवराज भले खामोश हों लेकिन स्थानीय मीडिया इस मामले को दिग्विजय सिंह से भी जोड़ कर देख रही है।

दिग्विजय सिंह अपनी पत्नी अमृता राय के साथ नर्मदा परिक्रमा पर निकले हैं। उनकी यह परिक्रमा यात्रा 9 अप्रैल को समाप्त होने जा रही है।

ऐसा माना जा रहा है कि यात्रा समाप्त कर दिग्विजय सिंह नर्मदा किनारे पौधारोपण, अवैध खनन, सफाई जैसे मुद्दों में कथित तौर पर घोटाले का मामला उठा शिवराज सरकार पर हमलावर हो सकते हैं।

नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के लिए आस्था का विषय है और इससे पहले शिवराज खुद ‘नमामि देवी नर्मदे’ सेवा यात्रा निकाल चुके हैं।

शिवराज सिंह की यह यात्रा 11 दिसंबर 2016 को शुरू होकर 15 मई 2017 को समाप्त हुई थी। इसके बाद 5 जून से 15 जून 2017 तक पेड़ लगाओ यात्रा की शुरुआत हुई थी।

सरकार ने एक साथ एक दिन 2 जुलाई को 6 करोड़ पौधे लगा वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाने का दावा किया था। अभी राज्यमंत्री बनाए गए बाबाओं के अलावा राजनीतिक दलों ने भी आरोप लगाया था कि इन पौधों का नामोनिशान नहीं है।

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