रोहिंग्या मुस्लिम : अल्पसंख्यक आयोग ने किया सरकार का खुला समर्थन, बोले- मदद से पहले देश हित जरूरी

रोहिंग्या मुस्लिम नई दिल्ली। देश की सुरक्षा का हवाला देते हुए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद गैयूरुल हसन रिजवी ने केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन किया है। उन्होंने माना कि देश में मौजूद करीब 40,000 रोहिंग्‍या मुसलमानों को आसरा देना देश के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ने भी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। ऐसे में हमारे यहां सुरक्षा को लेकर चिंता होना लाजिमी है।

इससे पहले हाल ही में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू ने भी कहा था कि रोहिंग्‍या शरणार्थी गैरकानूनी प्रवासी हैं और इनको वापस भेजा जाएगा।

वहीं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रमुख जैद राद अल हुसैन ने रोहिंग्‍या मामले पर भारत के रुख की आलोचना की थी जिसका भारत सरकार ने प्रतिवाद किया था और आरोपों को खारिज कर दिया था।

क्या आपको पता है रेलवे का ये नया नियम…? जानिए किस तरह हो जाएगी आपकी नींद हराम

ख़बरों के मुताबिक़ गैयूरुल हसन ने कहा कि शरणार्थियों और मानवता की मदद अपनी जगह है, लेकिन देश की सुरक्षा सबसे पहले है।

रिजवी ने कहा, ‘‘हमारा भी वही रुख है जो सरकार का रुख है। लोगों की मदद और मानवता की बात अपनी जगह है, लेकिन देश की सुरक्षा सबसे पहले है।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘ शरणार्थी शिविरों में लोगों को बसाने से सुरक्षा संबंधी खतरा पैदा होगा तो फिर इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?’’

रिजवी ने कहा, ‘‘जहां तक मदद की बात है तो ऑपरेशन इंसानियत के तहत मदद पहुंचाई गई है। सरकार ने रोहिंग्‍या शरणार्थियों के लिए मदद बांग्लादेश पहुंचाई है। भारत ने हमेशा मानवता की मदद की है।’’

आज ही के दिन भारतीय सेना ने निजामों को चटाई थी धूल और हैदराबाद को…

अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने यह भी कहा, ‘‘रोहिंग्‍या के मामले को धार्मिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। यह मानवीय समस्या है, लेकिन साथ ही भारत के लिए खतरे की आशंका है। मानवीय मदद हो रही है और सुरक्षा खतरे से भी निपटा जा रहा है। ऐसे में सरकार के कदम पर सवाल करना ठीक नहीं है।’’

बता दें उच्चतम न्यायालय रोहिंग्‍या मुसलमान शरणार्थियों को वापस म्यांमा भेजने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर 18 सितंबर को सुनवाई करेगा।

देखें वीडियो :-

LIVE TV