शाहजहांपुर में 15-16 दिसंबर 2022 को अयोध्या-दिल्ली एक्सप्रेस ट्रेन में मोबाइल चोरी के शक में एक युवक को मारपीट कर चलती ट्रेन से फेंकने के मामले में नया मोड़ आया है। इस मामले में आरोपी नरेंद्र कुमार दुबे, जो ढाई साल से जेल में बंद था, को अपर सत्र न्यायाधीश पंकज कुमार श्रीवास्तव ने दोषमुक्त कर रिहा कर दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि जिस व्यक्ति की हत्या का आरोप था, वह जिंदा निकला और उसकी गवाही ने नरेंद्र को बरी करवाया।

मामले का विवरण
- घटना: 15-16 दिसंबर 2022 की रात, अयोध्या-दिल्ली एक्सप्रेस (14205) के जनरल कोच डी-2 में एक महिला यात्री ने मोबाइल चोरी की शिकायत की। शक के आधार पर भीड़ ने एक युवक को पकड़कर करीब 30 मिनट तक पीटा और उसे तिलहर रेलवे स्टेशन (शाहजहांपुर) के पास चलती ट्रेन से फेंक दिया। इस दौरान नरेंद्र कुमार दुबे ने भी मारपीट की और उसे धक्का दिया।
- पुलिस कार्रवाई: एक यात्री आलोक ने घटना का 66 सेकंड का वीडियो रिकॉर्ड किया और रेलवे के सीयूजी नंबर पर सूचना दी। बरेली जंक्शन पर जीआरपी ने नरेंद्र कुमार दुबे (निवासी: संगम विहार कॉलोनी, नंदग्राम, गाजियाबाद) को गिरफ्तार कर लिया। बरेली जीआरपी ने IPC की धारा 302 (हत्या) के तहत FIR दर्ज की, जिसे बाद में तिलहर पुलिस स्टेशन (शाहजहांपुर) को स्थानांतरित कर दिया गया।
- शव की पहचान: तिलहर के पास रेलवे ट्रैक पर एक शव मिला, जिसके सिर पर गहरी चोट और एक पैर कटा हुआ था। पोस्टमॉर्टम में मृत्यु का कारण प्री-मॉर्टम चोटें बताई गईं। बिहार के मुजफ्फरपुर के कुड़नी थाना क्षेत्र के तारसन सुमेरा गांव के मोहम्मद याकूब ने शाहजहांपुर जिला अस्पताल में शव की पहचान अपने बेटे मोहम्मद ऐताब के रूप में की और 21 दिसंबर 2022 को उसका अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति-रिवाज से किया।
- नया मोड़: छह महीने बाद, मोहम्मद ऐताब जिंदा अपने गांव लौटा। उसने बताया कि वह ट्रेन में था ही नहीं, बल्कि दिल्ली में सिलाई-कढ़ाई का काम सीख रहा था और फिर गुजरात चला गया। उसके पास मोबाइल नहीं होने के कारण परिवार से संपर्क टूट गया था। ग्रामीणों ने उसका वीडियो बनाकर पुलिस को सूचित किया।
अदालत का फैसला
- ऐताब ने शाहजहांपुर की अदालत में प्रार्थनापत्र देकर स्पष्ट किया कि वह उस ट्रेन में मौजूद नहीं था। गवाहों (आलोक, अजनी, और दिलदार) के बयानों और ऐताब की गवाही के आधार पर, अपर सत्र न्यायाधीश पंकज कुमार श्रीवास्तव ने नरेंद्र कुमार दुबे को हत्या के आरोप से दोषमुक्त कर दिया।
- अदालत ने आदेश में कहा कि चूंकि जिस व्यक्ति की हत्या का आरोप था, वह जिंदा है, इसलिए नरेंद्र को बरी किया जाता है। हालांकि, यह भी स्पष्ट किया गया कि ट्रेन से फेंके गए व्यक्ति की मृत्यु हुई थी, जो ऐताब नहीं, बल्कि कोई और था। यदि उस अज्ञात व्यक्ति के परिजन नरेंद्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना चाहें, तो यह फैसला उसमें बाधा नहीं बनेगा।