रूरल टूरिज्म का केंद्र बनेंगे केदार तुंगनाथ समेत ये स्थान

रूरल टूरिज्मरुद्रप्रयाग : जिले में तृतीय केदार तुंगनाथ समेत चार स्थानों पर रूरल टूरिज्म के तहत कार्य शुरू हो गया है। इसके लिए शासन से एडीबी को पौने चार करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ है। इसमें से सर्वाधिक ढाई करोड़ की धनराशि समुद्रतल से 12073 फीट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर के सौंदर्यीकरण, परिसर व पैदल रास्ते का निर्माण और मंदिर में सोलर लाइट लगाने पर खर्च होगी। अन्य तीन स्थानों के लिए 1.25 करोड़ का बजट अवमुक्त हुआ है। इससे जहां ग्रामीण पर्यटन विकसित होगा, वहीं क्षेत्रवासियों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।

वर्ष 2014 में पर्यटन विभाग ने रुद्रप्रयाग जिले में तृतीय केदार तुंगनाथ समेत फलासी, चोपता, दुर्गाधार, घिमातोली, चौमासी, कविल्ठा, बोरा व कालीमठ को रूरल टूरिज्म से जोडऩे के लिए 7.25 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा। लेकिन, शासन ने इनमें से मात्र तुंगनाथ, फलासी, बोरा व कविल्ठा का चयन ही रूरल टूरिज्म के लिए किया।

योजना के तहत इन स्थानों पर एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) को सौंदर्यीकरण कार्य के अलावा पैदल मार्ग, पार्किंग, धर्मशाला, रेन सेल्टर व शौचालयों का निर्माण करना है। साथ ही इन स्थानों पर व्यू प्वाइंट भी बनाए जाएंगे, ताकि पर्यटक प्राकृतिक नजारों को कैमरे में कैद कर सकें। इसके अलावा यहां की संस्कृति के प्रचार-प्रसार और पारंपरिक काष्ठ शिल्प को बढ़ावा देने के लिए भी योजना के तहत कार्य होने हैं। जबकि, अन्य पांच स्थानों चोपता, दुर्गाधार, घिमातोली, चौमासी व कालीमठ का विकास दूसरी योजना में होगा।

एडीबी (देहरादून) के प्रोजेक्ट मैनेजर एलएस रावत बताते हैं कि रूरल टूरिज्म योजना के तहत जहां ग्रामीण पर्यटन विकसित होगा, वहीं स्थानीय नौजवानों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इसके साथ ही ग्रामीणों के लिए पर्यटन से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। उद्देश्य यह है कि वे पारंपरिक व्यजनों के साथ यहां संस्कृति परिदृश्य से भी पर्यटकों को परिचित करा सकें। रावत के अनुसार पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिलने से इन स्थलों के प्रति देश-दुनिया के पर्यटकों का आकर्षण बढ़ेगा।

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