
नई दिल्ली| एयरलाइन जेट एयरवेज ने 30 जून को समाप्त तिमाही में जानकारी दी है कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि और रूपये में आयी गिरावट के कारण उसके घाटा रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है।
देश की सबसे पुरानी निजी एयरलाइन ने पिछले साल की समान तिमाही में 53 करोड़ रुपये के मुनाफे की तुलना में इस तिमाही में 1,323 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया है। बीती तिमाही के दौरान कंपनी के कुल खर्च में लगभग 31 प्रतिशत ईंधन पर होने वाला खर्च था।
पिछले साल 1,524 करोड़ रुपये से 52 फीसदी बढ़कर यह 2,332 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में जेट एयरवेज की आय 6.4 फीसदी बढ़कर 6,010.5 करोड़ रुपये रही है। वित्त वर्ष 2018 की पहली तिमाही में जेट एयरवेज की आय 5,648.9 करोड़ रुपये रही थी।
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निदेशक मंडल ने लागत में कटौती के उपायों को भी सूचीबद्ध किया है। जेट एयरवेज को उम्मीद है कि अगले दो वर्षों में 2,000 करोड़ रुपये की लागत में कमी आएगी। जेट एयरवेज के सीईओ विनय दुबे ने कहा, “ब्रेंट ईंधन की कीमत में वृद्धि, रुपये में गिरावट और उच्च ईंधन की कीमतों और कम किराए के बीच परिणामी विसंगति ने जेट एयरवेज सहित भारतीय विमानन उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है”।
जेट एयरवेज अपने करीब 500 ग्राउंड सर्विस स्टाफ के लिए पिंक स्लिप जारी कर सकती है। जेट एयरवेज के स्टाफ की कुल संख्या 16,558 है। इसमें ग्राउंड स्टाफ 5,000 के आसपास हैं। जेट अपने स्टाफ की संख्या में 10 प्रतिशत की कटौती कर चाहता है।