
लखनऊ। मधुमेह से ह्रदय रोग, गुर्दे में समस्या, तंत्रिका तंत्र, पैरो में कमजोरी होती है जो की नाबालिक बच्चे के शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक है। स्तनपान करवाने की अवधि और मधुमेह का जोखिम कम होने में बहुत गहरा संबंध है।
जो मां छह महीने या अधिक समय तक स्तनपान कराती है, उन्हें टाइप 2 मधुमेह होने का खतरा घटकर लगभग आधा रह जाता है। जेएएमए इंटरनल मेडिसीन में प्रकाशित शोध के मुताबिक यह खतरा 47 फीसदी तक घट जाता है।
वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिकी बाल रोग अकादमी के मुताबिक नवजात बच्चे के लिए मां का दूध बहुत ही लाभकारी होता है। छह महीने तक शिशु को दूध पिलाने पर सर्वोत्तम पौष्टिक आहार मिलता है।
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यह उसे कई बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है। इसके अलावा पाचनतंत्र स्वस्थ, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसके अलावा दिमाग, हड्डियां आदि को मजबूत करता है। शिशु में खाद्य एलर्जी, एक्जिमा और अस्थमा के खतरे को भी कम करता है।
स्तनपान से मां और शिशू दोनों को फायदे होते हैं
एचआईवी का खतरा कम
मां का दूध शिशुओं को एचआईवी जैसी संक्रामक बीमारी से भी बचाता है। मां के दूध में ओलिगोसैक्राइड्स नामक कुछ बायोएक्टिव अवयव की उच्च मात्र होती है। यह प्रसव के बाद संक्रमित मां से शिशुओं में एचआइवी को पहुंचने से रोक देती है।
दांतों में क्षय रोग करे कम
शिशु के जन्म के बाद बहुत सारी बीमारियां आनी शुरू हो जाती हैं। इसका कारण है कि बच्चे का शरीर कमजोर और नाजुक होता है। नवजात शिशु के दांत बहुत ही कमजोर होते है इनमे क्षय रोग दूर करने के लिए मां का दूध काफी लाभदायक होता है। यह जबड़े की हड्डी और ऊपरी वायु मार्ग की मांशपेशियों को भी मजबूत करता है।
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बचाता है कैंसर से
स्तनपान मां के लिए भी बहुत उपयोगी होता है। स्तनपान करने से माँ में ब्रैस्ट कैंसर होने के खतरे बहुत कम हो जाते है, साथ ही साथ या बच्चे को भी कैंसर से बचता है। माँ के दूध में ट्रेल नमक प्रोटीन पाया जाता है जो लिम्फोब्लास्टिक नमक रोगो से बचाव करता है।
तेज होती है आंखों की रोशनी
नवजात शिशु के लिए स्तनपान करना बहुत ही फायदेमंद होता है, यह आंखों की रोशनी को भी बढ़ने में मददगार होता है। मां के दूध में फटी एसिड और ध होता है जो बेहतर दृष्टि और एकग्रता के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा यह आंखों में होने वाले किसी भी बीमारी से लड़ने की छमता रखता है।