योग पर धार्मिक बवाल… चर्च की रिपोर्ट ने बता दिया क्रिश्चियनिटी के लिए बड़ा खतरा!

नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में योग का एक अलग ही स्थान है। इसे एक साधना के रूप में देखा जाता है। योग के बारे में यह भी बताया जाता है कि ईश्वर से संपर्क स्थापित करने में योग अत्याधिक मददगार साबित होता है। साथ ही इसकी साहयता से मनुष्य को बेहतर स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में एक ओर जहां केंद्र सरकार योग का समर्थन करते हुए इसे देश के साथ विदेशों में ले जाने का प्रयास कर रही है। वहीं केरल के एक चर्च की रिपोर्ट ने योग को लेकर एक नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है।

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योग पर बवाल

खबरों के मुताबिक़ चर्च की रिपोर्ट के अनुसार यह भगवान के पास पहुंचने का साधन नहीं है। यह रिपोर्ट सायरो-मालाबार चर्च के सैद्धांतिक आयोग ने दी है।

इस रिपोर्ट को पाली बिशप जोसेफ कल्लारगट्टू ने तैयार किया है। जिसे हाल ही में सायरो मालाबार चर्च की धर्मसभा ने मंजूरी मिली है। हालांकि पादरियों और समाज के सदस्यों के एक समूह ने इस रिपोर्ट का विरोध किया है।

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रिपोर्ट में कहा गया है- योगा भगवान तक पहुंचने का रास्ता नहीं है। यह विश्वास करना सही नहीं है कि यह भगवान को महसूस करने या उससे साक्षात्कार करने में मददगार होता है। योगा किसी शख्स के अंदर किसी तरह का कोई बदलाव नहीं लाता है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि समाज के सदस्य और चर्च प्रमुखों को योग पर ध्यान देने और दूसरे आध्यात्मिक आंदोलनों से बचना चाहिए।

यह कैथोलिक मान्यता के बिल्कुल खिलाफ है। योगा और दूसरे एंटी-क्रिश्चियन प्रथाएं चर्च के आधिकारिक शिक्षाओं को प्रोत्साहित नहीं करती हैं।

बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पाने के लिए काफी सारे क्रिश्चियन योगा सेशन के लिए जा रहे हैं लेकिन यह प्रथाएं एंटी क्रिश्चियन विचारों और संस्कृति को बढ़ावा देते हैं। किसी भी समझदार व्यक्ति को ऐसी प्रथाओं को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।

वहीं इस बात का भी जिक्र किया गया कि आरएसएस और दूसरे संघ परिवार समूह पूरे भारत में योग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।

इसलिए समाज के सदस्यों को इस अभ्यास के बारे में अधिक सावधानी बरती रहनी चाहिए। हमारी संस्कृति में योगा का एक महत्वपूर्ण स्थान है।

यह एक शारीरिक व्यायाम के रूप में या फिर ध्यान केंद्रित करने या ध्यान करने के लिए आसन के रूप में माना जाता है।

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