हमारी आर्थिक नीतियों पर शक करने वाले हुए गलत साबित : मनमोहन सिंह  

आर्थिक नीतियोंनई दिल्ली। 1990 के दशक की शुरुआत में किए गए आर्थिक सुधारों का सूत्रधार माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनस लीडरशिप समिट-2017 के 15वें सत्र में कहा कि ‘हमारे लिए गर्व की बात है कि आर्थिक नीतियों का ज़ोर और उसकी दिशा पिछले सालों से बरकरार है। उन्होंने कहा कि देश में वैश्वीकरण जारी रहेगा और बीते वर्षों में देश की नई नीतियों को लेकर शक करने वाले गलत साबित हुए हैं।

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डॉ मनमोहन सिंह ने कहा कि , ‘आप सभी को पता है कि 1991 में हमने अर्थव्यवस्था के प्रबंधन के लिए नया रुख अपनाया था। इसमें घरेलू और बाहरी अर्थव्यवस्था दोनों में प्रगतिशील उदारीकरण शामिल है। इस दौरान जीडीपी में बहुत तेजी से वृद्धि हुई और साथ ही साथ देश के गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने वालों के अनुपात में भी कमी आई।’

उन्होंने कहा कि, ‘ देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में कई समस्याएं है। आय एवं संपत्ति में असमानता को पाटने के लिए व्यावहारिक उपाय किए जाने की भी जरूरत है।’

उन्होंने कहा कि देश में काफी अवसर हैं, लेकिन आंतरिक चुनौतियां बनी हुईं हैं। टिकाऊ और प्रतिस्पर्धी उपक्रमों के लिए देश में अब एक बड़ा बाजार है।’

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मनमोहन सिंह ने कहा, ‘लोकतांत्रिक देश के रूप में विभिन्न कारणों से आंतरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन लोकतंत्र में ही परिपक्वता के साथ इस प्रकार की स्थिति से निपटने की क्षमता होती है और यह इसका एक बड़ा फायदा है। तानाशाही रुख से लोगों की वास्तविक समस्याओं का हल नहीं हो सकता।’

पूर्व पीएम ने युवा स्नातकों से अपने जीवन और संबंधित उपक्रमों के प्रबंधन में लोकतांत्रिक मूल्यों को अपनाने को कहा।

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