RBI ने एटीएम से लेन-देन का नियम बदला, एक जनवरी से कर पाएंगे इतने ट्रांजेक्शन

आरबीआई ने एटीएम कार्ड और यूपीआई से कॉन्टैक्टलेस लेन-देन के नियमों बदलाव किया है। अगर आप भी यूपीआई से कॉन्टैक्टलेस लेन-देन करते हैं तो यहां जानिए आरबीआई ने नियमों में क्या बदलाव किए हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक ने सुरक्षित तरीके से डिजिटल भुगतानों को तेजी से अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि यूपीआई से कॉन्टैक्टलेस लेन-देन की सीमा को 2000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये कर दी है। यह सुविधा 1 जनवरी, 2021 से प्रभावी हो जाएगी।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, डिजिटल भुगतान को सुरक्षित तरीके से बढ़ाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि यूपीआई या कार्ड के जरिये बिना संपर्क के किए जा सकने वाले भुगतान के मामलों में प्रति लेन-देन की सीमा को एक जनवरी 2021 से 2000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये किया जाए। उन्होंने कहा कि यह ग्राहकों की इच्छा पर निर्भर करेगा। रिजर्व बैंक ने कहा कि इससे संबंधित परिचालन के दिशानिर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।
 

आरबीआई ने आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए उदार रुख को बनाए रखते हुए कहा है कि कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए हर संभव कदम उठाएगा। दास ने कहा कि रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस)  सिस्टम जल्द ही सातों दिन 24 घंटे उपलब्ध कराई जाएगी। बता दें कि वर्तमान में आरटीजीएस सिस्टम महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को छोड़कर हफ्ते के सभी कामकाजी दिनों में सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक उपलब्ध होता है।

बता दें कि देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक ने जुलाई, 2019 से एनईएफटी व आटीजीएस के माध्यम से किए जाने वाले लेन-देन पर शुल्क लेना बंद कर दिया है। एनईएफटी का इस्तेमाल दो लाख रुपये तक के लेन-देन में किया जाता है, जबकि बड़े लेन-देन आरटीजीएस के माध्यम से किए जाते हैं। दास ने कहा कि लोगों के बीच वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय साक्षरता केंद्र (सीएफएल) अभी 100 प्रखंडों में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चरणबद्ध तरीके से मार्च 2024 तक सभी प्रखंडों में ऐसे केंद्र बनाए जाएंगे।

रिजर्व बैंक ने दिसंबर 2019 में नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनईएफटी) प्रणाली को चौबीसों घंटे के लिए उपलब्ध बनाया था। ऐसा होने से पहले की तुलना में पांच दिन के बजाय अब सातों दिन एईपीएस, आईएमपीएस, एनईटीसी, एनएफएस, रुपे, यूपीआई लेन-देन के निपटान के क्रियान्वयन से स्वाभाविक जोखिम व दबाव कम होने का अनुमान है। यह भुगतान की पारिस्थितिकी को अधिक दक्ष बनाएगा।

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