RBI एप लोन फर्जीवाड़े पर कसेगा नकेल, केंद्रीय बैंक ने डिजिटल लेंडिंग पर बनाया कार्य दल

बुधवार को आरबीआइ ने डिजिटल लेंडिंग के तौर-तरीकों पर नियम बनाने के लिए एक कार्यदल का गठन किया है। आरबीआइ ने इसके गठन के साथ ही यह भी कहा है कि ऑनलाइन कर्ज देने वाले प्लेटफॉर्म और मोबाइल एप के जरिये लोन देने वालों से जुड़े कुछ चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं। नया कार्य दल इन सभी मुद्दों पर विचार करेगा और और यह सुझाव देगा कि इस तरह की गतिविधियों को किस तरह से नियामकीय दायरे में लाया जाए।

केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि डिजिटल माध्यम के जरिये कर्ज देने की सुविधाओं का स्वागत होना चाहिए, लेकिन इनके नकारात्मक तथ्यों को भी ध्यान में रखना चाहिए।

आरबीआइ में एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर जयंत कुमार दास को इस कार्य दल का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। इसके अलावा इसमें पांच सदस्य होंगे जिसमें तीन आरबीआइ के हैं। मोनेक्सो फिनटेक के सह-संस्थापक विक्रम मेहता और साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट राहुल सासी बाहरी सदस्य होंगे। कार्य दल यह देखेगा कि इस तरह की डिजिटल सेवाओं के साथ जोखिम किस तरह के हैं। क्या इस तरह की सेवाएं वित्तीय स्थायित्व के लिए भी खतरा बन सकती हैं, हर तरह की डिजिटल लेंडिंग गतिविधियों को किस तरह से रेगुलेट किया जाए, इसका खाका क्या हो, इस पर सुझाव देने के साथ ही यह कार्य दल डिजिटल मार्केटिंग में डाटा को सुरक्षित रखने का भी रास्ता बताएगा।

उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ महीनों से देश के कई हिस्सों से मोबाइल एप आधारित लोन देने की गतिविधियों से जुड़ी कई तरह की सूचनाएं सामने आ रही हैं। कुछ खबरों में यहां तक बताया गया है कि मोबाइल एप से लोन लेने वालों से वसूली के नाम पर अभ्रद व्यवहार किए जा रहे हैं।

कई शहरों में पुलिस ने केस दर्ज किया है कि मोबाइल एप पर लोन लेने बाद कर्ज देने वालों ने वसूली के लिए ग्राहकों को इतना परेशान किया है कि उन्होंने आत्महत्या कर ली है। लोन देने वाले इन एप का उपयोग सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में करने की सूचना है।

ये एप बहुत ही आसानी से 5,000 रुपये से 50,000 रुपये तक कर्ज देते हैं, लेकिन इस पर 60 से 100 फीसद तक का ब्याज लेते हैं। कम आय वाले लोग या बेरोजगर युवकों के इनके दुष्चक्र में फंसने की काफी सूचना आरबीआइ तक पहुंच रही थी। कर्ज समय पर नहीं चुकाने पर मोबाइल एप ग्राहक के सभी मित्रों व परिवार के सदस्यों को उस पर बकाये कर्ज की सूचना भेजने लगता है। केंद्रीय बैंक ने 22 दिसंबर, 2020 को इस बारे में आम जनता को सावधान भी किया था।

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