
- गौरव शुक्ला
पूर्व रक्षा मंत्री, किसानों का नेता और धरती पुत्र के नाम से प्रसिद्ध मुलायम सिंह के बारे में कौन नहीं जानता। उनकी पहचान दिग्गज नेताओं के तौर पर होती है। उनकी एक आवाज पर सूबे की जनता कुछ भी कर गुजरने को तैयार रही है। वैसे तो मुलायम सिंह के कई किस्से राजनीतिक जगत में चर्चाओं में शामिल रहते हैं। लेकिन उनके जीवन की एक ऐसी घटना भी है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते है।

7 मार्च 1984 की घटना को समाजवादी समर्थक कभी भी नहीं भूल सकते। यह वही तारीख थी जब मुलायम सिंह यादव पर जान से मारने का प्रयास किया गया। इस दौरान चली ताबड़तोड़ गोलियों से किसी तरह वहां मौजूद पुलिसकर्मियों और सुरक्षाकर्मियों ने उनकी जान बचाई। इसके बाद मुलायम सिंह यादव सकुशल वापस घर पहुंचे। आपको बता दें कि घटना के दिन छोटे लाल नाम के व्यक्ति ने मुलायम की गाड़ी के आगे चलते हुए उन पर फायरिंग शुरु कर दी। हालांकि सुरक्षा गार्डों ने उसे मौत के घाट उतार दिया। जबकि दूसरा हमलावर नेत्रपाल भी घायल हो गया। यह घटना उस दौरान घटी जब मुलायम इटावा से वापस अपने गांव महिखेड़ा जा रहे थे।
घटना का जिक्र करते हुए मुलायम ने खुद बताया था कि वह लगातार 2 मार्च से दौरे पर थे। 4 मार्च की शाम को जब वह इटावा और मैनपुरी की सीमा के पास झींगपुर में रैली का संबोधन कर, महिखेड़ा में अपने दोस्त से मिल वापस आ रहे थे तभी उन्होंने अचानक गोलियों की आवाज सुनी। ड्राइवर ने बताया कि जो बाइक सवार उनके बगल में चल रहा था उसने अचानक रुककर फायरिंग शुरु कर दी। इसके बाद मुलायम के साथ मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने भी जवाबी फायरिंग की। गोलीबारी की घटना रुकने के बाद मुलायम को सुरक्षित गाड़ी से बाहर निकाला गया और दूसरी जीप से कुर्रा पुलिस स्टेशन पहुंचाया गया।

आखिर कौन था यह गोली चलाने वाला शख्स
इस घटना के बाद सवाल यह खड़ा हुआ कि गोली चलाने वाला शख्स कौन था और आखिर उसने क्यों गोली चलाई। दरसल मुलायम पर गोली चलाने वाला शख्स छोटेलाल पेशे से एक प्राइमरी शिक्षक था। मुलायम के अनुसार हत्या की साजिश के चलते उन पर यह हमला किया गया था। लेकिन भगवान की इच्छा के चलते उनकी जान बच गयी। मुलायम का तो यह तक कहना था कि उनको कुछ दिन पहले ही हमले की जानकारी मिली थी लेकिन उन्हें इस पर भरोसा नहीं था।