भारतवंशी प्रोफेसर ने किया देश को गौरवान्वित, मिला ये बड़ा सम्मान

शिकागो भारतीय मूल के अमेरिकी प्रोफेसर अभय अष्टेकर को अमेरिकन फिज़िकल सोसाइटी (एपीएस) द्वारा प्रतिष्ठित आइंस्टीन पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। चार दशक पहले उन्होंने गुरुत्वाकर्षण विज्ञान पर काम शुरू किया था।

वर्ष 2018 के लिए उनको यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार की घोषणा 23 अक्टूबर को होगी। उन्हें पुरस्कार के तौर पर 10,000 अमेरिकी डॉलर की राशि के साथ एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा, जिसमें लिखा है -ब्लैक होल्स, कैनोनिकल क्वांटम ग्रेविटी और क्वांटन कॉस्मोलॉजी सिंद्धात समेत समता का सिद्धांत के लिए विपुल व लाभदायक योगदान के लिए वर्ष 2018 का आइंस्टीन पुरुस्कार।

भारतवंशी प्रोफेसर

अश्तेकर भौतिकी के प्रोफेसर हैं। वह एबरली चेयर होल्डर और पेंसिलवेनिया में इंस्टीट्यूट फॉर ग्रेविटेशन एंड कॉस्मॉस के निदेशक हैं।

अश्तेकर ने कहा, “यह पुरस्कार खास है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण विज्ञान के विशाल क्षेत्र में एपीएस द्वारा प्रदत्त यह सर्वोच्च सम्मान है। प्रथम आइंस्टीन पुरस्कार संयुक्त रूप से पीटर बर्गमन्न और जॉन ह्वीलर को प्रदान किया गया था, जिन्होंने शोध समूहों के माध्यम से अमेरिकी विश्वविद्यालयों में सामान्य समता की शुरुआत की। शायद पहले अवार्ड ने इस नजरिये की स्थापना की थी तो दूसरा अवार्ड लाइफटाइम एचीवेंट के लिए दिया गया है। इसलिए यह समाचार काफी संतोषप्रद है।”

अश्तेकर जब भारत में हाईस्कूल में पढ़ते थे, तभी से विज्ञान में उनकी गहरी अभिरुचि थी।

उन्होंने कहा कि पहले मैं सिर्फ मराठी साहित्य ही जानता था, जोकि मेरी मातृभाषा है। उस समय पहली से 11वीं तक शिक्षा का माध्यम भी यही था। उसके बाद मेरा परिचय हिंदी और अंग्रेजी साहित्य से हुआ और मुझे ज्ञात हुआ कि साहित्य का किस प्रकार संस्कृति विशेष से गहरा संबंध है। किसी एक भाषा में जिसे महान समझा जाता है, वहीं दूसरी भाषा में बहुत औसत दर्जे का हो सकता है। मैंने उसी समय न्यूटन का नियम और गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक सिद्धांत सीखा, जिसमें यह बताया गया है कि सेब जिस कारण धरती पर गिरता है, उसी कारण से ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। यह अपने आप में ही अचरज की बात थी।”

अश्तेकर ने 1974 में शिकागो विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। वह फ्रांस, कनाडा और भारत में महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। वर्ष 2016 में वह नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस के सदस्य चुने गए थे। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में अश्तेकर को आइंस्टीन के समीकरण को सरल बनाने के लिए नए चरों को शामिल कर लूप क्वांटम ग्रेविटी कार्यकम शुरू करने का श्रेय दिया गया है।

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