
जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री अशोक चौधरी पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने पिछले दो वर्षों में बेनामी तरीके से 200 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की है। किशोर ने दावा किया कि यह संपत्ति चौधरी के परिवार—पत्नी, बेटी शांभवी चौधरी (समस्तीपुर से सांसद) और समधन अनीता कुणाल—के नाम पर ‘मानव वैभव विकास ट्रस्ट’ के माध्यम से खरीदी गई।
उन्होंने सरकारी निविदाओं (टेंडरों) और ठेकेदारों को भुगतान में 5% तक कमीशन लेने का भी आरोप लगाया, जिसके जरिए चौधरी ने 20 हजार करोड़ के ठेकों से 500 करोड़ तक की ‘काली कमाई’ की। किशोर ने दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि शांभवी की सगाई के बाद यह प्रक्रिया तेज हुई, और एक साल में इतनी बड़ी खरीदारी संभव नहीं।
किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में चौधरी को चुनौती दी कि वे सात दिनों में मानहानि नोटिस वापस लें और संपत्ति का ब्योरा जनता के सामने रखें। अन्यथा, वे 500 करोड़ की अतिरिक्त अवैध संपत्ति का खुलासा करेंगे। उन्होंने कहा, “अशोक चौधरी ने कैमरे पर कहा था कि एक कट्ठा जमीन भी निकल आए तो जनसुराज की गुलामी करूंगा। अब कागजात सामने हैं, तो कह रहे हैं ये हमारी जमीन नहीं। अगर जमीन है तो जनसुराज का गुलाम मत बनिए, बिहार की जनता का गुलाम बनिए और इस्तीफा दीजिए। हम राज्यपाल और कोर्ट जाएंगे।” किशोर ने विभाग के इंजीनियरों पर कमीशन इकट्ठा करने का आरोप लगाया, जिसमें एक इंजीनियर को हाल ही में गिरफ्तार किया गया था।
अशोक चौधरी का खंडन और कानूनी कार्रवाई
मंत्री अशोक चौधरी ने इन आरोपों को “झूठा, भ्रामक और निराधार” बताते हुए कड़ा खंडन किया। उन्होंने कहा कि शांभवी द्वारा खरीदी गई संपत्ति वैध आय से है और इसका उल्लेख चुनावी शपथ पत्र में किया गया है। चौधरी ने ट्रस्ट के कामकाज या संपत्ति से किसी जुड़ाव से इनकार किया। उन्होंने किशोर पर पहले से चल रहे मानहानि मामले में पटना कोर्ट से 17 अक्टूबर को समन मिलने के बाद “बौखलाहट” में आरोप लगाने का आरोप लगाया।
23 सितंबर को चौधरी ने किशोर को 100 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा, जिसमें सात दिनों में बिना शर्त माफी मांगने या प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्टीकरण देने की मांग की गई। न मानने पर आपराधिक मुकदमा और सिविल सूट दायर करने की चेतावनी दी। जेडीयू ने भी विवाद से दूरी बनाई, लेकिन मंत्री से स्पष्टीकरण मांगा।
राजनीतिक संदर्भ
यह विवाद बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले तेज हो गया है। किशोर ने एनडीए के कई नेताओं—सम्राट चौधरी, मंगल पांडेय, दिलीप जायसवाल आदि—पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। जेडीयू नेता नीतीश कुमार की साफ-सुथरी छवि का हवाला देते हुए पार्टी ने कहा कि एक मंत्री के आरोप से सीएम पर सवाल नहीं उठते। सोशल मीडिया पर भी बहस तेज है, जहां किशोर के समर्थक उन्हें भ्रष्टाचार उजागर करने वाला मान रहे हैं, जबकि एनडीए समर्थक इसे राजनीतिक साजिश बता रहे।
यह मामला कोर्ट में पहुंच चुका है, और इसका फैसला बिहार की राजनीति पर असर डाल सकता है।