दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषित कोहरे का कहर, डॉक्टरों ने घोषित की मेडिकल इमरजेंसी

प्रदूषित कोहरे का कहरनई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। बढ़ते प्रदूषण के चलते दिल्ली सरकार ने दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को पांचवीं तक के स्कूल बंद करने का ऐलान कर दिया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को दिन में उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण कुछ दिनों के लिए स्कूल बंद करने के लिए कहा था। अब इस बात का ऐलान कर दिया गया है कि बुधवार को पांचवीं तक के सभी स्कूल बंद रहेंगे।

दिल्ली-एनसीआर में एक बार फिर गैस चैंबर की स्थिति बन गई है। यह स्थिति बच्चों, बुजुर्गो, गर्भवती महिलाओं, अस्थमा व दिल के मरीजों के लिए प्राणघातक साबित हो सकती है। अस्पतालों में 35-40 फीसद सांस के मरीज भी बढ़ गए हैं।

वहीं प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने मेडिकल इमरजेंसी घोषित की है और लोगों को घर से कम से कम बाहर निकलने की हिदायत दी है।

मनीष सीसोदिया का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो स्कूलों की ये छुट्टियां आगे भी बढ़ाई जा सकती हैं बता दें कि जहरीले स्मॉग के चलते यहां के निवासियों की आंखों में जलन और सिरदर्द की शिकायत देखने को मिल रही हैं। धुंध की वजह से उड़ानें भी प्रभावित हुईं है।

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भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए इसके गंभीर खतरों के प्रति आगाह किया है। आईएमए के अध्यक्ष डॉ के. के. अग्रवाल कहा कि मौजूदा समय में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सामान्य से तीन गुना ज्यादा है। इसके कारण सुबह के समय स्कूलों में आउटडोर एक्टिविटी करने से बच्चों के फेफड़ों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। दिल्ली के 14 एयर मॉनिटरिंग स्टेशन पर वायु गुणवत्ता बहुत खराब पायी गयी जहां वायु गुणवत्ता इंडेक्स 300 है, जबकि 100 को सामान्य माना जाता।

अग्रवाल ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को पत्र लिख कर सुबह के समय स्कूलों में आउटडोर एक्टिविटी पूरी तरह से बंद करने की अपील की है। उन्होंने लिखा है कि बच्चे जब शारीरिक परिश्रम करते हैं तो उन्हें ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है। ऐसे में सांस के साथ प्रदूषण की बड़ी मात्रा बच्चों के शरीर में जाती है। यह बच्चों के फेफड़ों में ग्रोथ का समय होता है ऐसे में यदि प्रदूषण की बड़ी मात्रा शरीर में जाती है तो फेफड़ों के विकास पर असर पड़ता है और भविष्य में उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि हृदय और अस्थमा के मरीजों के अलावा बुजुर्ग और बच्चों को कम से कम घर से बाहर निकलना चाहिए।

राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता खराब होने पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा को फटकार लगाई। एनजीटी ने उनसे यह बताने को कहा कि आज बने आपात हालात से निबटने के लिए उन्होंने क्या एहतियाती कदम उठाए।

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