
दिलीप कुमार
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के छठे चरण का मतदान जारी है, तो वहीं दूसरी ओर एक चरण यानी सातवां चरण का मतदान शेष रह गया है। इन दोनों चरणों के मतदान में बीजेपी और सपा के नए-पुराने सहयोगी दलों की ताकत की परीक्षा होगी। इन दोनों चरणों में पीएम मोदी और सीएम योगी के संबंधित क्षेत्र से होना है। लेकिन वहीं दूसरी ओर कमर कसे प्रियंका गांधी के बारे में कहीं कम चर्चा नहीं हो रहा है। लोगों का कहना है कि उनका परफारमेंस सरप्राइजिंग मोड में चल रहा है। आगामी चुनाव परिणाम किसे राज और किसे फकीर बनाने वाला है, इसके बारे में कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगी।

विधानसभा चुनाव लगभग अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है। एक तरफ जहां जहां छठे चरण की वोटिंग जाही है वहीं दूसरी ओर सातवे यानी आखिरी चरण के मतदान की तैयारी में सभी राजनैतिक दल जुटे हुए हैं। इसी क्रम में गुरुवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाराणसी के कबीर चौरा मठ पहुंची और अगले तीन दिनों तक उन्होंने कबीर चौरा मठ में ही रहनें का मूड बना लिया है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के कबीर चौरा मठ दौरे को लेकर अलग अलग बातें की जा रहीं हैं। इसे कदम को लोग दलित और अति पिछड़े समाज के वोटर्स को साधने के नजिए से देख रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वाराणसी में प्रियंका गांधी का कबीर चौरा मठ में वास कर दलित और अति पिछड़ा समाज के लोगों के लिए एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश है, और यह बताना चाहती हैं कि कांग्रेस पार्टी ही इन तबकों की हितैषी है। सातवें चरण में शामिल चुनाव वाले जिलों में अति पिछड़ी जातियों एवं दलितों की संख्या अच्छी-खासी है, लिहाजा कांग्रेस ने इन वोटर्स को अपने पाले में करने के लिए पूरे जोर-शोर से जुटी हुई है।
गौरतलब है कि कबीर चौरा मठ का अपना एक अलग ऐतिहासिक महत्व रहा है। दरअसल यह मठ संत कबीर की कर्म स्थली द्योतक है। इसी मठ में उन्होंने अपने पूरा जीवन को साधा था। कबीरदास की शिक्षाओं, संदेशों एवं स्मृतियों का केंद्र, यह मठ कबीरदास के अनुयायियों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा है। इसी कारण देशभर के कबीरपंथियों का यहां सदैव तांता लगा रहता है। कबीर चौरा मठ सियासी दृष्टिकोण से भी अहम है। पं नेहरू और राष्ट्रकवि रविंद्रनाथ टैगोर समेत महात्मा गांधी भी यहां कई बार आए और इसे अपना डेरा बनाया।
बता दें कि तीन मार्च यानी आज गोरखपुर समेत 10 जिलों की 57 सीटों पर मतदान होना है, वहीं सात मार्च को वाराणसी समेत नौ जिलों की 54 सीटों पर मतदाता अपने मताधिकारों का इस्तेमाल करेंगे। पूर्वांचल क्षेत्र में होने वाले दो चरणों के मतदान में भाजपा से हटकर सपा का दामन थामने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या और दारा सिंह चौहान जैसी राजनीतिक हस्तियों की चुनावी किस्मत का फैसला होना है, जबकि ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाले क्षेत्रीय दल की ताकत की भी परीक्षा होनी है।





