गोरखपुर हत्याकांड: दिव्यांग भाई की पेंशन पर शराब की लत, चिंता ने भाई-पत्नी को हत्यारों में बदल दिया; पूरा परिवार नशे का आदी

खोराबार थाना क्षेत्र के बखरिया गांव के डुमरी टोला में एक दिल दहला देने वाली घटना ने रिश्तों को शर्मसार कर दिया। 45 वर्षीय दिव्यांग रामनिवास निषाद की हत्या उसके छोटे भाई अमरजीत निषाद और भाभी श्यामरथी देवी ने पेंशन की रकम पर विवाद के बाद कर दी।

पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ कि अमरजीत दंपति रामनिवास की दिव्यांग पेंशन से मिले 3000 रुपये शराब पीने में उड़ा देते थे। इस बार जब रामनिवास ने सारी रकम खुद खर्च करने की बात कही, तो नशे में धुत दंपति ने लाठी-डंडों से उसकी बेरहमी से पिटाई की और कमरे में बंद कर दिया। उपचार न मिलने से गुरुवार सुबह रामनिवास मृत मिले। सीओ कैंट योगेंद्र सिंह ने बताया कि पूरा परिवार शराब का आदी है, और वारदात के दिन भी सभी ने नशा किया था।

रामनिवास मजदूरी के साथ-साथ दिव्यांग पेंशन पर निर्भर थे। वे शादीशुदा थे, लेकिन पत्नी और बेटा अलग रहते थे। पिता गणपति निषाद ने बताया कि रामनिवास अपनी कमाई और पेंशन का कुछ हिस्सा छोटे बेटे अमरजीत को देते थे, जिससे उनका खर्च चलता। लेकिन अमरजीत और श्यामरथी शराब के लती थे, और नशे में परिवार पर मारपीट आम बात थी। इसी कारण गणपति पिछले दस वर्षों से अलग मकान में रह रहे। 22 अक्टूबर को दिन में दंपति ने रामनिवास की पिटाई की, और शाम को फिर नशे में धुत होकर लाठियों से पीटा। विरोध करने पर पिता को भी धमकी दी गई कि “आज तुम्हें भी मार देंगे।” रात में रामनिवास को कमरे में बंद कर दिया। गुरुवार सुबह ग्रामीणों ने दरवाजा तोड़ा, तो सिर से खून बहते रामनिवास मृत पाए।

ग्रामीणों ने बताया कि बुधवार सुबह से ही पेंशन को लेकर विवाद चला। अमरजीत ने स्वीकारा कि उसने रामनिवास का दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने में मदद की थी, और बदले में आधी पेंशन का वादा था। लेकिन इस बार रामनिवास ने सारे पैसे खुद खर्च कर दिए, जिससे गुस्सा भड़क गया। पिता गणपति ने तहरीर दी, जिसमें हत्या का आरोप लगाया। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया। सीओ ने कहा कि विवाद नशे और पैसे पर था, और समय पर इलाज न मिलने से मौत हुई। यह घटना नशे की लत के खतरों को उजागर कर रही है।

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