क्या है मालदीव में जारी राजनीतिक संकट, एक क्लिक में समझें पूरा मामला

नई दिल्ली: मालदीव में राजनीतिक संकट के बादल मंडराने लगे हैं. देश में अधिकार एवं पद-प्रतिष्ठा को लेकर टकराव की स्थिति बनती जा रही है. मालदीव के राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने से इनकार कर दिया है, जिसके बाद से देश में राजनीतिक उठा-पटक का दौर शुरू हो चुका है.

मालदीव में राजनीतिक संकट

मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत जेल में बंद अन्य कैदियों को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने नशीद समेत 9 राजनीतिक बंदियों को रिहा करने और 12 संसद सदस्यों को बहाल करने का आदेश दिया था.

मालदीव में राजनीतिक संकट क्यों ?

कोर्ट ने कहा था असंतुष्टों को अवश्य रिहा किया जाना चाहिए क्योंकि उनके खिलाफ मुकदमा राजनीति से प्रेरित और गलत था.

मगर, राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने कोर्ट के इस ऑर्डर को दरकिनार करते हुए मानने से साफ-साफ इनकार कर दिया. हालात इतने बदतर हो गए हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की गिरफ्तारी का आदेश दे दिया.

यह भी पढ़ें : मालदीव: आपातकाल से गहराया सियासी संकट, पूर्व राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश गिरफ्तार

मालदीव की सेना ने रविवार को संसद परिसर को घेर लिया. इस सियासी तूफान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने भारत समेत दूसरे लोकतांत्रिक देशों से मदद की गुहार लगाई है.

कोर्ट ने कहा है, ‘आदेश का पालन हो जाने और कैदियों को रिहा कर दिए जाने के बाद उनके खिलाफ दोबारा मुकदमा चलाने से महाभियोजक को कुछ भी नहीं रोकता है.’

पूरे घटनाक्रम पर अपनी राय व्यक्त करते हुए विपक्षी दलों का कहना है की सांसदों एवं राष्ट्रपति की रिहाई से यामीन को कुर्सी का खतरा है क्यूँकि 12 सांसदों को बहाल करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की पार्टी अल्पमत में आ जाएगी. जिसके बाद उनपर महाभियोग का खतरा मंडरा सकता है.

यह भी पढ़ें : मालदीव : राष्ट्रपति ने की आपातकाल की घोषणा

ऐसा इसलिए भी क्योंकि ये सांसद सत्ता पक्ष से अलग होकर विपक्ष में शामिल हो गए थे.

मुख्य विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने कहा है कि उन्हें बैठक तक नहीं करने दी गई. सरकार ने सुरक्षाबलों का इस्तेमाल कर उन्हें मीटिंग नहीं करने दी.

 

LIVE TV