मालदीव: आपातकाल से गहराया सियासी संकट, पूर्व राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश गिरफ्तार

मालदीवमाले। मालदीव में राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सोमवार को 15 दिन की इमर्जेंसी का ऐलान कर दिया है। इस घोषणा के साथ ही वहां चल रहा सियासी संकट और गहरा गया है। इस आदेश के साथ ही मालदीव के नागरिकों के सभी मूल अधिकार निलंबित हो गए हैं और सुरक्षाबलों को किसी को भी संदेह के आधार पर गिरफ्तार करने की शक्ति मिल गई है।

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आपातकाल लगाए जाने के कुछ देर बाद ही मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम समेत सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अली हमीद और जुडिशल एडमिनेस्ट्रेटर हसन सईद को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।

बता दें,  मालदीव में यह राजनीतिक संकट उस समय उत्पन्न हुआ, जब देश के सर्वोच्च न्यायालय ने जेल में बंद विपक्षी नेताओं को रिहा करने का आदेश दिया, जिसे राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मानने से इनकार कर दिया। विपक्ष ने सरकार के इस कदम की निंदा की है। मालदीव सरकार के इस कदम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

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गौरतलब है कि पिछले सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ विपक्षी नेताओं की रिहाई के आदेश दिए थे। न्यायालय ने अपने आदेश में देश के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद पर 2015 में शुरू किए गए मुकदमे को असंवैधानिक भी बताया था। फिलहाल, नशीद निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

इस बीच ‘चिंतित’ भारत ने अपने नागरिकों को मालदीव यात्रा टालने की सलाह दी है। उधर अमेरिका ने भी कहा है कि सरकार को कानून का सम्मान करना चाहिए।

पूर्व राष्ट्रपति की बेटी युम्ना मौमून ने ट्विटर पर बताया कि 80 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति को राजधानी माले स्थित उनके घर से ले जाया गया। मौमून अब्दुल 2008 में देश का पहला लोकतांत्रिक चुनाव होने से पहले 30 वर्ष तक देश के राष्ट्रपति रहे। मौमून अब्दुल विपक्ष के साथ थे और अपने सौतेले भाई को पद से हटाए जाने को लेकर अभियान चला रहे थे।

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