PM मोदी ने 280 मेट्रिक टन ग्रेनाइट से बनी नेताजी की प्रतिमा का किया अनावरण, ‘कर्तव्य पथ’ का भी हुआ उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली में सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का उद्घाटन किया। इसे अब ‘कर्तव्य पथ’ के नाम से जाना जाएगा। PM मोदी ने इस दौरान इंडिया गेट पर स्वतन्त्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण भी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने नए सेंट्रल विस्टा एवेन्यू पर प्रदर्शनी को देखा। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक सेंट्रल विस्टा एवेन्यू विस्तार से फैला हुआ है। यहां पर गणतंत्र दिवस के अवसर पर परेड व और भी कई प्रमुख कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं।

कर्तव्य पथ के रूप में एक नए युग की शुरुआत- PM मोदी

पीए मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज के इस ऐतिहासिक कार्यक्रम पर पूरे देश की दृष्टि है। सभी देशवासी इस समय, इस कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं। मैं इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन रहे सभी देशवासियों का हृदय से स्वागत करता हूं, अभिनंदन करता हूं। आजादी के अमृत महोत्सव में, देश को आज एक नई प्रेरणा मिली है, नई ऊर्जा मिली है। आज हम गुजरे हुए कल को छोड़कर, आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे हैं।

गुलामी का प्रतीक किंग्सवे आज से इतिहास- PM मोदी

उन्होंने कहा कि गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानि राजपथ, आज से इतिहास की बात हो गया है, हमेशा के लिए मिट गया है। उपनिवेशवाद के एक और प्रतीक से बाहर आने पर मैं देश के सभी लोगों को बधाई देता हूं. पिछले 8 सालों में हमने कई ऐसे फैसले लिए हैं जिन पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की छाप थी। वह ‘अखंड भारत’ के पहले प्रमुख थे जिन्होंने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज इंडिया गेट के समीप हमारे राष्ट्रनायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की विशाल मूर्ति भी स्थापित हुई है। गुलामी के समय यहां ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा लगी हुई थी। आज देश ने उसी स्थान पर नेताजी की मूर्ति की स्थापना करके आधुनिक, सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी है

“नेताजी की राह पर नहीं चला देश”

पीएम ने कहा कि सुभाषचंद्र बोस ऐसे महामानव थे, जो पद और संसाधनों की चुनौती से परे थे. उनकी स्वीकार्यता ऐसी थी कि, पूरा विश्व उन्हें नेता मानता था. उनमें साहस था, स्वाभिमान था. उनके पास विचार थे, विजन था. उनमें नेतृत्व की क्षमता थी, नीतियां थीं. अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर होता, लेकिन दुर्भाग्य से, आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया. उनके विचारों को, उनसे जुड़े प्रतीकों तक को नजरअंदाज कर दिया गया। पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी कल्पना की थी कि लाल किले पर तिरंगा फहराने की क्या अनुभूति होगी. इस अनुभूति का साक्षात्कार मैंने स्वयं किया, जब मुझे आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष होने पर लाल किले पर तिरंगा फहराने का सौभाग्य मिला. आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश ने अपने लिए ‘पंच प्राणों’ का विजन रखा है. इन पंच प्राणों में विकास के बड़े लक्ष्यों का संकल्प है, कर्तव्यों की प्रेरणा है. इसमें गुलामी की मानसिकता के त्याग का आहृवान है. अपनी विरासत पर गर्व का बोध है.

भारत सरकार के कई मंत्री रहे मौजूद

पीएम मोदी ने कहा कि आज देश अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे सैकड़ों कानूनों को बदल चुका है. भारतीय बजट, जो इतने दशकों से ब्रिटिश संसद के समय का अनुसरण कर रहा था, उसका समय और तारीख भी बदली गई है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए अब विदेशी भाषा की मजबूरी से भी देश के युवाओं को आजाद किया जा रहा है. कर्तव्य पथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है, ये भारत के लोकतांत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है। इस कार्यक्रम के दौरान भारत सरकार के कई मंत्रियों समेत गणमान्य लोग भी मौजूद रहे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के अनावरण के मौके पर इंडियन नेशनल आर्मी से जुड़े सिपाहियों के परिवारों को आमंत्रित किया गया।

100 साल तक बिना किसी नुकसान के खड़ी रहेगी मूर्ति

नेता जी की मूर्ति को लेकर बताया जा रहा है कि इसे जेट ब्लैक ग्रेनाइट से बनाया गया है। इसके निर्माण में कम से कम 280 मेट्रिक टन ग्रेनाइट का इस्तेमाल हुआ है। ग्रेनाइट स्टूडियो इंडिया के MD रजत मेहता के अनुसार नेताजी का ये स्टैच्यू बिना किसी नुकसान के सौ सालों तक ऐसे ही मजबूती के साथ खड़ा रहेगा। उन्होंने बताया की इस मूर्ति को सिर्फ एक बड़े पत्थर से ही तराशा गया।

LIVE TV