प्लास्टिक कूड़े के खिलाफ रेलवे ने कसी कमर, बोतलों को नष्ट करने के लिए अपनाया नया तरीका

नई दिल्ली। प्लास्टिक कूड़े के खिलाफ लड़ाई में साथ देते हुए भारतीय रेलवे देश भर के 2,000 रेलवे स्टेशनों पर प्लास्टिक बोतल नष्ट करने वाली मशीनें स्थापित करेगा।

स्टेशनों की सफाई अभियान से जुड़े रेलवे के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, “जब प्लास्टिक और विशेष रूप से प्लास्टिक की बोतलें पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा बन गई हैं तो हम प्लास्टिक संकट से निपटने के लिए जागरूकता फैलाने के लिए कड़े कदम उठा रहे हैं।”

प्लास्टिक कूड़े

देश भर के स्टेशनों पर प्रतिदिन पेय पदार्थ और पेयजल की बोतलें बड़ी संख्या में फेंकी जाती हैं। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की 2009 की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेलवे ट्रैक पर लगभग 6,289 टन प्लास्टिक कूड़ा निकाला जाता है।

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यात्रियों को प्लास्टिक बोतलें रेलवे ट्रैक या स्टेशन परिसर में फेंकने से रोकने के लिए क्रशर (प्लास्टिक बोतल नष्ट करने की मशीन) स्थापित किए जा रहे हैं।

क्रशर मशीनें प्लेटफॉर्म और निकासी द्वार पर स्थापित की जाएंगी जिससे अपनी बोतल फेंकने जा रहे यात्री उसे मशीन में डालकर नष्ट कर सकें। मशीन में डाली गई प्लास्टिक की बोतल के आयतन के अनुसार मशीन स्वत: शुरू होकर बंद हो जाएगी। मशीन के अंदर डाली गई बोतल के छोटे-छोटे टुकड़े हो जाएंगे।

प्लास्टिक के टुकड़े प्लास्टिक निर्माताओं के पास भेज दिए जाएंगे जिससे कूड़ा डालने की जगह (लैंडफिल) में प्लास्टिक प्रदूषण न हो। अधिकारी ने कहा, “पहले चरण में 2000 स्टेशनों पर क्रशर मशीनें स्थापित करने के लिए सभी 16 जोन के 70 डिवीजनों को निर्देशित कर दिया गया है।”

वर्तमान में प्लास्टिक बोतलें हाथों से नष्ट की जाती हैं। रेल यात्रियों या स्टेशन के आस-पास की अवैध बस्तियों के निवासियों द्वारा ट्रैक पर कूड़े फेंकने पर रोक लगाने की जरूरत है।

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रेलवे ने क्रशर को स्थापित करने और उनकी देख-रेख करने के लिए एजेंसियों का चयन करने के लिए परियोजना प्रबंध परामर्श की जिम्मेदारी ‘राइट्स’ को दी है।

जहां छोटे स्टेशनों को कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) तहत लिया जाएगा, तो बड़े स्टेशनों के लिए बोली लगाई जाएगी। सफल बोली लगाने बाले व्यक्ति को समय-समय पर तकनीक बेहतर करने के लिए आठ साल का ठेका दिया जाएगा।

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