पतंजलि का ‘किम्भो’ एप बुरी तरह फ्लाप, एक बुरे सपने से ज्यादा कुछ नहीं

नई दिल्ली मई के अंत में बाजार में आया योगगुरु रामदेव का स्वदेशी मोबाइल मैसेजिंग एप ‘किम्भो’ एक बुरी तरह तैयार व्यापारिक योजना बनकर रह गया। दावा किया जा रहा था कि इसे व्हाट्सएप की जगह लेने के लिए लाया गया है।

पतंजलि

वित्तवर्ष 2017 में 10,561 करोड़ रुपये का टर्नओवर करने वाली कंपनी पतंजलि ने पहले तो लोगों से इस एप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करने को कहा, फिर इसके तुरंत खत्म होने के लिए इंटरनेट पर अत्यधिक ट्रैफिक को दोष दिया, उसके बाद में कहा कि यह सिर्फ एक दिवसीय परीक्षण था और अब पतंजलि ने इसे दोबारा लांच करने के लिए दो और महीनों का वक्त मांगा है।

यह एप 31 मई को गूगल प्ले स्टोर पर आने के अगले दिन ही सुरक्षा और प्रदर्शन में कमियों के कारण गायब हो गया था। इससे देश की प्रौद्योगिकी उद्योग को झटका लगा था।

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अगर आज आप गूगल प्ले स्टोर पर जाते हैं, तो आपको किम्भो के कम से कम एक दर्जन नकली एप मिलेंगे।

बता दें कि किम्भो एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है- आप कैसे हैं? या क्या चल रहा है? इसमें मैसेजिंग एप, टीवी और कई अन्य विशेषताओं का दावा किया गया था।

अब प्रश्न उठता है कि इस एप को लांच करने की जल्दबाजी क्या थी? इसे फेसबुक के अधिग्रहण वाले व्हाट्सएप के लिए चुनौती के तौर पर पेश किया गया था। व्हाट्सएप के वैश्विक उपभोक्ता लगभग 1.5 अरब और भारत में 20 करोड़ हैं।

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