सांसदों और विधायकों पर कहर बनकर टूटे अधिकारी, जनता फिर रही मारी-मारी
लखनऊ| उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों एवं विधायकों की नाराजगी दूर करने के उद्देश्य से संवाद की पहल की थी, लेकिन अब सूबे के अधिकारी ही उनके इस अभियान को चौपट करने में जुटे हुए हैं।
सूत्रों के मुताबिक भाजपा के सांसदों एवं विधायकों ने मुख्यमंत्री को जो काम बताए थे, उन्हें विभागों से रिपोर्ट के लिए भेजा गया था। लेकिन विभागीय अधिकारी रिपोर्ट देने की जगह चुप्पी साधकर बैठ हुए हैं।
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गौरतलब है कि भाजपा के सांसद और विधायक लगातार शिकायत कर रहे थे कि उनके काम नहीं हो रहे हैं। चुनाव में स्थानीय स्तर पर किए गए वादों और जनहित से जुड़े तमाम जरूरी काम तक के लिए नीचे के अधिकारी नहीं सुन रहे। उनकी चिंता एक साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर है, जिसमें उन्हें फिर से जनता के बीच जाना है।
मुख्यमंत्री योगी ने इसके बाद संसदीय क्षेत्रवार सांसदों व विधायकों से मुलाकात की और उनसे सरकार के कामकाज का फीडबैक लिया और प्राथमिकता पर कार्रवाई का आश्वासन दिया।
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शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्यमंत्री सचिवालय ने मार्च में प्रत्येक सांसद और विधायक के प्रस्तावों को संबंधित विभागों को भेजा था। यह रिपोर्ट 24 मार्च तक मुख्यमंत्री को भेजी जानी थी, लेकिन सात-आठ छोटे विभागों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर ने कोई जवाब नहीं दिया है।”