अभी-अभी : भारतीय सेना उठाने जा रही अब तक का सबसे बड़ा कदम, घुटने टेकने को मजबूर होगा पाक

भारत की पीठ में छुराजम्मू। जब से भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ है तभी से ही पाकिस्तान भारत की पीठ में छुरा घोंपता चला आया है। कभी भारत में बड़ा आतंकी हमला कर या फिर कभी हमारे जवानों की निर्मम हत्या कर वह अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देता रहा है। यही नहीं पाकिस्तान अनायास ही संघर्ष विराम का उल्लंघन कर भारत में आतंकियों की घुसपैठ भी करवाता रहता है। जिस पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत यह ‘सुनिश्चित’ करेगा कि पाकिस्तान को जम्मू एवं कश्मीर में युद्धविराम का उल्लंघन करने से रोकने के लिए मजबूर किया जाए। राज्य की शीतकालीन राजधानी जम्मू में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “साल 2014 से पाकिस्तान ने युद्धविराम का 400 बार उल्लंघन किया है।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि पाकिस्तान को युद्धविराम उल्लंघन रोकने के लिए मजबूर किया जाए।”

गृह मंत्री ने जम्मू एवं कश्मीर के अपने चार दिवसीय दौरे के अंतिम दिन यह बातें कही, साथ ही यह भी घोषणा की कि सीमापार गोलीबारी में अगर कोई नागरिक मारा जाता या 50 फीसदी या उससे अधिक विकलांग हो जाता है तो उसे 5 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी।

उन्होंने कहा, “युद्धविराम के उल्लंघन के बावजूद लोग सरहद पर रहते हैं। देश की सरहद को बचाने में उनका योगदान बहुत बड़ा है। सीमा पर रहनेवाले नागरिकों के लिए 60 बंकरों का निर्माण किया गया है, साथ ही अन्य का भी निर्माण कार्य चल रहा है।”

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केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय जांच आयोग (एनआईए) एक स्वतंत्र जांच एजेंसी है और किसी सरकार के पास इसकी जांच को प्रभावित करने की शक्ति नहीं है।

उन्होंने एनआईए द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेताओं की गिरफ्तारी पर कहा, “एनआईए एक स्वतंत्र, स्वायत्त संगठन है और देश के कानून के अनुसार काम करती है। कोई सरकार इस एजेंसी के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।”

जम्मू में रोहिंग्या शरणार्थियों की उपस्थिति पर सिंह ने कहा कि वे अवैध प्रवासी हैं।

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उन्होंने कहा, “जम्मू में रह रहे रोहिंग्या अवैध प्रवासी हैं और मैं उनकी उपस्थिति से सुरक्षा के खतरा होने से इनकार नहीं करता हूं।”

इससे पहले मंगलवार की सुबह राज्य के भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) नेताओं के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू में रह रहे 4,500 रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की मांग की।

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