ओवैसी ने कोर्ट के फैसले को नकारा, कहा- विवेक की स्वतंत्रता के तहत पहना जा सकता है, हिजाब

दिलीप कुमार

पिछले महीने कर्नाट में हिजाब पहनने को लेकर मामला तूल पकड़ लिया था, जिसके हिजाब समर्थकों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को हिजाब पहनने को लेकर दायार याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।

इस लिए विद्यालयों ने युनिफॉर्म ड्रेस को लेकर जो नियम बनाए हैं, उसका पालन करना अनिवार्य है। याचिका खारिज होने के बाद कोर्ट के इस फैसले से कई मुस्लिम संगठनों ने अपनी असहमति जताई है।

कोर्ट के इस फैसले को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने कही कि यूनिफॉर्म देखकर पता चल जाता है कि वह लड़की ठाकुर की बेटी है या जाटव की है। उन्होंने कहा कि यूनीफॉर्म केवल स्कूलों में ही नहीं बल्कि देश भर में है। ओवैसी देश के वास्तविकता पर नजर डालते हुए कहा कि क्या यूनीफॉर्म से यह पता नहीं चलता कि छात्रा दलित की बेटी है, गरीब की बेटी है या अमीर बाप की बेटी है। क्या यूनीफॉर्म से नहीं पता चलता है कि अमुक व्यक्ति किस जाति की है? क्या यूनीफॉर्म से नहीं पता चलता कि छात्रा ठाकुर की बेटी है या ब्राह्मण की बेटी है?

ओवैसी के इस जवाब के बाद पत्रकार नें उनसे पूछा कि क्या आप चेहरा देखकर बता सकते हैं कि वह ठाकुर की बेटी है या ब्राह्मण की बेटी? इस पर वो मुखर होकर कहते हैं कि स्कूल में पता चल जाता है। उन्होंने हिजाब समर्थक छात्राओं के पक्ष में बलते हुए कहा कि वो छात्राएं कोर्ट में क्यों गईं थी क्यों कि हम यूनिफॉर्म के साथ हिजाब पहनना चाहते हैं, जिसे हम पहले भी पहनते थे। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में चर्च के स्कूलों में हिजाब पहनने की आजादी है।

पत्रकार का अगला प्रश्न था कि क्या देश की अदालतें एंटी-मुस्लिम हो गयीं हैं? जवाब देते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मै यह नहीं कह रहा हूं लेकिन मै हाईकोर्ट के फैसले से असहमति हूं। मैने राममंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर असहमति जताई थी, क्यों कि संविधान के तहत मुझे कोर्ट के फैसले से असहमति जताने का अधिकार है।

आपको बता दें कि औवैसी ने कर्नाटक हाई कोर्ट के इस फैसले पर असहमति जताते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 15 की अवहेलना करता है। उन्होने कोर्ट के निर्णय को दोहराते हुए कहा कि हिजाब आवश्यक धार्मिक अभ्यास नहीं है लेकिन इसका निर्णय कौन करेगा ? उन्होंने कहा कि हम इसी लिए इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

उन्होंने हिजाब न पहनने को लेकर दूरगामी परिणामों का हवाला देते हुए कहा कि इसका नकारात्म असर होगा और जगह-जगह मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाया जाएगा। सविंधान में विवेक इस्तेमाल करने के स्वतंत्रता के तहत हमें इजाजत है कि अपना हिजाब भी पहनें और शिक्षा भी हासिल करें।

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