पुराने गीतों को नए रूप में ढालना बेहद चुनौतीपूर्ण

पुराने गानों मुंबई: बॉलीवुड में आजकल पुराने गानों को नया रूप देने का दौर चल पड़ा है, लेकिन संगीतकारों को यह काम चुनौतीपूर्ण लगता है। संगीतकारों का कहना है कि लोगों के जहन में पुराने गाने रचे-बसे होते हैं, ऐसे में इन गानों को नए रूप में ढालना और छाप छोड़ना बहुत ही मुश्किल काम साबित होता है।

लोकप्रिय गाने जैसे ‘तू चीज बड़ी है मस्त’, ‘तम्मा तम्मा’, ‘सारा जमाना’ व ‘लैला मैं लैला’ को फिल्मों में नए रूप में प्रस्तुत किया गया है। नई आवाजों के साथ इन गानों को लोकप्रियता मिली और नई पीढ़ी तक यह पहुंचे।

लेकिन, सवाल यह है कि गायक व संगीतकार अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल नए गीत रचने की बजाय पुराने गीतों को नया रूप देने पर क्यों कर रहे हैं।

संगीतकार अमाल मलिक ने कहा, “मुझसे अक्सर यह सवाल किया जाता है और मैं नहीं जानता कि क्यों व कैसे मूल गीत को फिर से रचने का टैग मुझसे जुड़ता है।

अपने छोटे करियर में मैंने करीब 55 गीत तैयार किए हैं, इनमें से सिर्फ दो गीत ‘सोच ना सके’ व ‘चुल’ को फिर से रचा है।”

उन्होंने कहा, “विश्वास कीजिए, पहले से ही लोकप्रिय गाने को फिर से बनाना काफी चुनौतीपूर्ण है। एक संगीतकार के तौर पर मैं गाने के डीएनए से छेड़छाड़ नहीं करना चाहता, लेकिन गाने को एक नए दृष्टिकोण से जोड़ने की कोशिश करता हूं। यह चुनौतीपूर्ण है।”

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