उत्तर प्रदेश के जनपद जौनपुर के सात ब्लॉक 2175 किसान बांस की खेती करने के लिए तैयार हैं। बांस की खेती बंजर जमीनों पर की जाएगी जहां किसी भी प्रकार की खेती नहीं की जाती है।

उपायुक्त मनरेगा भूपेंद्र सिंह ने मंगलवार को इस विषय में जानकारी देते हुए कहा कि बंजर भूमि वाले किसानों के भी दिन बदलेंगे। दरअसल नदी के किनारे कटान रोकने व किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रशासन की ओर से बांस की खेती को विकल्प के रूप में दिया था।
इसके तहत खुटहन ब्लॉक के चार गांवों के पांच सौ किसानों का चयन किया गया है। बांस उपलब्ध कराने का जिम्मा प्रयागराज के एक फर्म को दिया जाएगा। जल्द ही इस योजना का डीपीआर सामने लाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी मनरेगा को सौंपी गई है। हाल ही में प्राप्त सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कुछ किसान बांस की खेती करने को आगे आए है, जिन्हें सूचीबद्ध किया जा रहा है। किसानो को बांस की उपलब्धता भी मनरेगा के माध्यम से करायी जाएगी।
इसके अंतर्गत असम व जबलपुर के बांस की प्रजातियों को शामिल किया गया है। इस पहल से न सिर्फ बेकार पड़ी भूमि की कीमत अदा हो सकेगी, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर किसानों की दशा भी सुधरेगी।
सिंह ने किसानों को होने वाले फायदे को लेकर कहा कि दो सालों पर एक हेक्टेयर में करीब साढ़े तीन लाख रुपये तक का मुनाफा होगा। यह एक बार लगने के बाद लगातार फायदे का सौदा साबित होगा।