अब कई सरकारी बैंक होंगी आपस में विलीन, RBI जल्द जारी करेगा ऐसे बैंकों की सूची
नई दिल्ली| भारत सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से 21 पब्लिक सेक्टर के बैंकों में से ऐसे बैंकों की पहचान करने को कहा है, जिनका आपस में विलय किया जा सके। ब्लूमबर्ग के रिपोर्ट मुताबिक, इस कदम के पीछे सरकार का उद्देश्य NPA के बोझ से दबे बैंकिंग सिस्टम को मजबूत बनाना है।
इस महीने हुए एक बैठक में, वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने भारतीय रिजर्व बैंक से समय सीमा भी बताने को कहा है। इसका उद्देश्य कम और बेहतर पूंजीकृत बैंकों का गठन करना और रेगुलेटरी इंस्पेक्शन में सुधार करना है।
भारत सालों से अपने बैंकों को साफ-सुथरा बनाने की कोशिश में लगा हुआ है। दुनिया की 10 बड़ी इकॉनमी में से इटली के बाद भारत में सबसे ज्यादा NPA अनुपात है। देश में कुल NPA में से करीब 90 फीसदी हिस्सा सरकारी बैंकों का है। RBI की निगरानी में 21 में से 11 सरकारी बैंक हैं जिन पर नया कर्ज देने की रोक लगी हुई है।
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बैंक ऑफ बड़ौदा आउटगोइंग चेयरमैन रवि वेंकटेशन के ने पिछले महीने कहा था कि प्राइवेट सेक्टर में सहकर्मियों को अधिक मार्केट शेयर खोने से बचने के लिए राज्य समर्थित उधारदाताओं को एकजुट करने की जरूरत है।
आपको बता दें कि 2017 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के 6 सहयोगी बैंकों का विलय हो गया था। इनमें स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद और भारतीय महिला बैंक शामिल थे।
बैंको के इस कदम का उद्देश्य कम एवं बेहतर पूंजीकृत बैंकों का गठन करना और नियामक निरीक्षण में सुधार करना है।