आंखों से रोशनी नहीं लेकिन कुछ रंगों को पहचान करने की क्षमता जरूर छीन लेती है यह बीमारी
ब्लाइंडनेस का मतलब तो आप सभी ही जानते होंगे। इसका मतलब होता है अंधापन। मगर आपने शायद ही कभी कलर ब्लाइंडनेस का नाम सुना हो। इस समस्या में रोगी की आंखों की रोशनी ना जाके कुछ रंगों की पहचानने की क्षमता खो जाती है। यह कोई ज्यादा गंभीर समस्या नहीं है लेकिन जब लोगों को रंगों की पहचान नहीं होती है तो यह समस्या गंभीर रूप ले लेती है। आइए आज हम आपको इस समस्या के बारे में बताते हैं।
क्या है कलर ब्लाइंडनेस
आंख हमारे शरीर का सबसे खूबसूरत हिस्सा होती है। हम अपनी आंखों से दुनिया की खूबसूरती को देखते हैं। आंखों के अंदर ऑक्यूलर कोशिकाएं होती हैं। जिसके माध्यम से ही आंखों से देखा जाता है। उन्हें कोन्स कहा जाता है। सामान्य लोग में 100 तीन कोन होते हैं। जिसे ट्राइक्रोमैटिक कहते हैं। लेकिन वर्णान्ध लोगों में यह कोन सिर्फ दो ही है। जिसे ट्राइक्रोमैटिक कहा जाता है। हर कोन में 100 रंगों को देखने और उन्हें पहचानने की क्षमता होती है।
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कलर ब्लाइंडनेस का क्या है इलाज
कलर ब्लाइंडनेस का पूरी तरह इलाज संभव नहीं है। लेकिन कुछ तरीकों द्वारा इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। आंखों की जांच के बाद चिकित्सक कलर ब्लाइंड लोगों का इन तरीकों इलाज करते हैं।
रंगीन कॉन्टैक्ट लेंस का प्रयोग
इस बीमारी का कोई सही से इलाज नहीं है। लेकिन फिर भी डॉक्टर ने इस समस्या से लड़ने का तरीका निकाल लिया है। इस समस्या में डॉक्टर रोगी को रंगीन कॉन्टैक्ट लेंस इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। लेकिन कोई कारगर इलाज नहीं है, फिर भी कुछ हद तक रोगी को इससे आराम मिल ही जाता है।
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इलेक्ट्रॉनिक आंखें लगाना
इलेक्ट्रॉनिक आंख एक तरह की इलेक्ट्रॉनिक मशीन है। जिसे हाथ से पकड़ा जाता है। यह मशीन रंगों को पहचानने में कारगर होती है। यह मशीन रंगों को ऑडियो सिंथेसाइजर के माध्यम से पहचानती है। जिन लोगों में बचपन से ही यह समस्या होती है उन लोगों के लिए मशीन का इस्तेमाल बेहद ही जरूरी है। यह मशीन कपड़ो का रंग, टैफिर लाइट आदि के रंग को पहचानने में मदद करती है। इस यंत्र को हर समय अपने हाथ में पकड़ना संभव नहीं होता है।