एक ऐसा गांव जहां सोने के बाद महीनों तक नहीं खुलती आंख

नींदअस्ताना। इस दुनिया में ऐसे कई अनसुलझे रहस्य हैं, जिनसे आजतक पर्दा नहीं उठ सका। ऐसी ही अजीबो-गरीब घटना के लिए कजाकिस्तान का गांव कलाची भी जाना जाता है। जहां की कहानी जानकर आप भी हैरानी में पड़ जाएंगे, क्योंकि यहां की आपबीती कुछ अजीब ही है।

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बताया जाता है कि यहां के बाशिंदे कई-कई महीनों तक सोते ही रहते हैं। ये सुनने में भले ही अजीब लगे, मगर हकीकत यही है। यहां किसी शख्स के सोने का सामान्य वक्त ही एक महीना है। मतलब अगर यहां कोई शख्स सो गया तो सोच लीजिये अब महीने भर बाद ही उठेगा।

इस गांव में रहने वाले लोग ज्यादातर वक्त सोते हुए ही नजर आएंगे। इसी कारण इस गांव को स्लीपी हॉलो ( झूठी नींद) का गांव भी कहा जाता है।

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हालांकि ऐसा नहीं है कि गांव का हर शख्स ही नींद ही ऐसी है, कुछ लोग ही ऐसे हैं जो अगर नींद के आगोश में चले गए तो आप कितनी कोशिश कर लीजिए उनकी नींद नहीं टूटेगी। फिर चाहें उनके आसपास कुछ भी क्यों न घट रहा हो।

सड़कों पर हो सो जाते हैं लोग

इस बीमारी का आलम ये है कि वो सड़क के बीच में ही सो जाते हैं और कई महीनों तक वहां सोते रहते हैं। बात इतने तक तो ठीक है, मगर जब उनकी नींद टूटती है तो उन्हें ये पता ही नहीं रहता है कि वो कैसे और कितने लक्त से सड़क पर सो रहे थे।

गांव के लोगों का कहना है कि जब वो सोते हैं तो उनका दिमाग सुन्न हो जाता है और वो सपनों की दुनिया में चले जाते हैं।

गांव के 14 फीसद लोग हैं इस बीमारी से पीड़ित

वैज्ञानिकों का मानना है कि कजाकिस्तान के इस गांव के लोग एक अजीब तरह की बीमारी से पीड़ित हैं, जिसकी वजह से वो किसी वक्त भी नींद के आगोश में चले जाते हैं। इस गांव की आबादी महज 600 है और नींद को लेकर किए गए रिसर्च में जो तथ्य सामने आए वो वाकई चौंकाने वाले हैं। क्योंकि इस आबादी में से 14 फीसद लोग इस अजीब बीमारी से पीड़ित है।

दिलचस्प बात तो यह है कि खुद इन लोगों को भी नहीं पता कि आखिर क्यों वो कई-कई महीनों तक सोते हैं।

आज तक नहीं उठा इस राज पर से पर्दा

दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने इस गांव के लोगों के इतनी देर तक सोने की हकीकत पता करने के लिए कई जतन किए, मगर आज तक कोई नींद के इस रहस्य से पर्दा नहीं उठा पाया है। हालांकि कुछ वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि लोगों की नींद के लिए इस गांव का प्रदूषित पानी जिम्मेदार है।

कई तरह के मेडिकल टेस्ट के बाद वैज्ञानिकों ने ये पाया कि गांव के पानी में कार्बन मोनो-ऑक्साइड है और इसी वजह से कलाची गांव के लोग कई-कई महीनों तक सोते रहते हैं।

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बता दें गांव के भू-जल में ये कार्बन मोनो-ऑक्साइड पास की उस यूरेनियम खदान से आई है, जिसका सालों से इस्तेमाल नहीं हुआ है। हालांकि नींद की इस बीमारी की वजह से गांव वालों का जीवन मुश्किल हो गया है।

2010 में सामने आया था पहला मामला

नींद से जुड़ा यह आश्चर्यजनक मामला पहली बार 2010 में सामने आया। जब कुछ स्कूली छात्र क्लासरूम में ही सो गए थे। ये सभी स्टूडेंट कई दिनों तक सोते ही रहे। टीचर्स ने इन्हें उठाने की काफी कोशिश की। मगर स्कूली बच्चों की नींद नहीं टूटी। इसके बाद से ही गांव के लोगों की नींद का ये सिलसिला शुरू हो गया। जोकि रुकने का नाम नहीं ले रहा।

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