अब हाथियों की जान बचाएंगी मधुमक्खी
नई दिल्ली। बड़े-बड़े हाथियों की जान बचाने के लिए नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे ने छोटी-छोटी मधुमक्खियों का सहारा लिया है। दरअसल नॉर्थ ईस्ट के असम में कई सारे हाथी रेलवे ट्रैक क्रॉस करते समय ट्रेन से टकराकर मर जाते हैं। इन्हीं हाथियों की जान बचाने के लिए नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे ने प्लान बी की शुरुआत कर दी है।
बता दें कि प्लान बी ये है कि रेलवे ट्रैक्स के पास मधुमक्खियों की आवाज निकालने वाली डिवाइस लगाई जाएंगी। मधुमक्खियों की आवाजें सुनकर हाथी अपना रास्ता बदल लेंगे और ट्रेन से टकराने से बच जाएंगे।
बड़े से दिखने वाले हाथियों को मधुमक्खियों की भिनभिनाहट बिलकुल भी नहीं पसंद और जब भी हाथी उनकी आवाज़ सुनते हैं तो वो बिदक जाते हैं। हाथी की इसी कमजोरी का फायदा उठाते हुए NFR ने यह प्लान उनकी जान बचाने के लिए बनाया है। यह प्लान काम करता हुआ भी नजर आ रहा है।
NFR के डेटा के मुताबिक साल 2016 में ट्रेन से टकराने की वजह से 16 हाथी मारे जा चुके हैं और इस साल भी अब तक आधा दर्जन हाथी जान गंवा चुके हैं। बहुत मुमकिन है कि इस Bee Alarm से उनकी जान बचाई जा सके।
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बता दें कि इससे पहले भी हाथियों के विशेषज्ञ मिर्च जलाने और बिजली वाले तार लगाने जैसे उपाय करके देख चुके हैं, जिनका कोई खास फायदा नहीं हुआ।
वहीं केन्या में अब भी रेलवे ट्रैक्स के पास लगे तारों पर मधुमक्खियों के छत्ते लटका दिए जाते हैं, ताकि हाथी दूर रहें। गुवाहाटी से 65 किमी दूर NFR का रांगिया डिविज़न इलेक्ट्रॉनिक बज़र इस्तेमाल करने जा रहा है, जिससे मधुमक्खी की आवाज़ निकलेगी।
रांगिया डिविज़न के रेलवे मैनेजर रविलेश कुमार का कहना है कि दो हज़ार रुपए की लागत वाली इस डिवाइस की आवाज़ को हाथी 600 मीटर की दूरी से सुन सकेंगे। वैसे भी, हाथियों को उनके खाने की तलाश में ट्रैक पार करने से नहीं रोका जा सकता।