जलवायु परिवर्तन में राजनीति के लिए जगह नहीं : अनोटे टोंग

राष्ट्रपति अनोटे टोंगबेंगलुरू। लगभग चार साल पहले समुद्र में डूबने वाले देश के रूप में किरिबाती गणराज्य के सुर्खियों में आने पर दुनिया का ध्यान उस तरफ गया था, जो ऑस्ट्रेलिया से 5,000 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में मध्य प्रशांत क्षेत्र का एक द्वीप है। किरिबाती के पूर्व राष्ट्रपति अनोटे टोंग, जिन्होंने समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण अपने देश के ‘डूबने’ की आशंका को उजागर कर ग्लोबल वार्मिग के प्रभावों पर दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था, का मानना है कि जलवायु परिवर्तन में ‘राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है’।

जलवायु परिवर्तन का हुआ राजनीतिकरण

टोंग ने शहर की एक यात्रा के दौरान कहा, “यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जलवायु परिवर्तन का राजनीतिकरण हो गया है, जबकि यह समस्या पूरी मनुष्य जाति के लिए एक चुनौती है। जलवायु परिवर्तन में राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है। जहां तक हमारे जैसे देशों का सवाल है, हम डूबने के कगार पर हैं, जब तक कि कुछ ठोस कदम नहीं उठाया जाता।”

टोंग वर्ष 2003 से 2016 तक इस द्वीपराष्ट्र के राष्ट्रपति थे। वह बेंगलुरू शहर में एक वैश्विक पर्यावरण और स्थिरता सम्मेलन ‘राउंडग्लास समसारा फेस्टिवल’ में एक वक्ता के रूप में शामिल हुए हैं।

द्वीपदेश किरिबाती, जिसमें 33 एटोल (मूंगे की अंगूठी के आकार का द्वीप) और 110,000 से अधिक की आबादी शामिल है और इसका समुद्र तट दुनियाभर में 3.4 मिलीमीटर प्रतिवर्ष समुद्र के बढ़ते स्तर के साथ धीरे-धीरे घटता जा रहा है।

इतिहास से दुनिया अनजान

किरीबाती एक ऐसा देश, जिसके इतिहास से दुनिया अनजान थी। जब टोंग राष्ट्रपति चुने गए, तब उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ इस द्वीप की वास्तविकता को साझा करना शुरू किया था। टोंग ने कहा, “जब मैं 2004 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलने वाला था, तो मैं सोच रहा था कि मैं क्या कह सकता हूं कि जो सभी देशों के लिए प्रासंगिक हो, और मेरे देश के लिए भी महत्वपूर्ण हो।

साल 2003 में राष्ट्रपति चुनाव में अपने बड़े भाई हैरी टोंग के खिलाफ जीतने वाले टोंग ने कहा, “यह पहली बार था, जब मैंने जलवायु परिवर्तन के बारे में बात की थी, उस समय सभी आतंकवाद और वैश्विक व्यापार पर बात कर रहे थे। लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी ने वास्तव में मेरी बात सुनी। लेकिन मैंने तब से बोलना जारी रखा है।” 65 वर्षीय टोंग ने कहा, जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर कई देशों में सरकारों के साथ राजनीतिक दलों ने भी अपना दृष्टिकोण बदला है।

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, “मैंने जलवायु परिवर्तन पर स्थिति को देशों में बदलती सरकारों के साथ बदलते देखा है। ऑस्ट्रेलिया से न्यूजीलैंड और अब संयुक्त राज्य अमेरिका में। मैंने सबसे सकारात्मक बदलाव कनाडा में देखा है, जिसने 180 डिग्री का मोड़ लिया है।”

राष्ट्रपति के रूप में, टोंग ने जलवायु परिवर्तन (यूएनएफसीसीसी) पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के तहत विभिन्न दलों के सम्मेलन (सीओपी) के कई सत्रों में भाग लिया, निर्णय लेने वाला मंच जहां देशों ने जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धताओं के लिए दिशानिर्देशों पर चर्चा की और उनके लिए दिशानिर्देश तैयार किए।

वैश्विक नेताओं ने अक्सर तर्क दिया है कि वैश्विक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि को देखते हुए वे उन आर्थिक विकास को हासिल करने में मदद नहीं कर पाए हैं, जिसका उन्होंने लक्ष्य तय किया था। साल 2016 का पेरिस समझौता ‘अच्छा’ था, लेकिन इसके लिए कई और अधिक जानकारी की आवश्यकता है, ताकि यह ‘सार्थक और प्रभावी’ हो सके।

टोंग, 6 नवंबर से 17 नवंबर को जर्मनी के बॉन में आयोजित होने वाले कोप के 23वें सत्र के लिए सलाहकार समूह का एक हिस्सा हैं। इसके तहत उम्मीद है कि ‘कंक्रीट और विश्वसनीय’ कार्रवाई की ओर बढ़ने वाली एक चर्चा की जा सकेगी।

साल 2015 में साइक्लोन पैम के किरिबाती से टकराने के बाद, द्वीप पर रहने वाले लोग डर के साथ जी रहे हैं, उन्होंने कहा, “उस समय के दौरान हमारे माता और दादी अपने बच्चों को बचाने के लिए राह ढूंढ़ रहे थे, उन्होंने बच्चों को एक बाल्टी और एक आइसबॉक्स में डाल दिया था। यह पहली बार था, जब हम इतनी विनाशकारी चीज का सामना कर रहे थे।”

उन्होंने कहा, न्यूजीलैंड द्वारा प्रत्येक वर्ष देश के 75 लोगों को लेने के लिए सहमत हो जाने के बाद, लोग ‘गरिमा से पलायन कर रहे हैं’। टोंग ने कहा, “मैं इस धारणा को अस्वीकार करता हूं कि हमें जलवायु शरणार्थियों के रूप में पलायन करना चाहिए। मुझे बॉक्स के बारे में सोचना अच्छा लगता है। मेरे मन में कोई शक नहीं है कि हम द्वीपों को ऊंचा (ऊंचाई बढ़ाएं) बना सकते हैं और इसे जलवायु परिवर्तन के लिए लचीला बना सकते हैं। दुबई में पाम द्वीपों का निर्माण संभव है, तो हम द्वीपों को क्यों नहीं बढ़ाएं?” टोंग ने कहा, “हमने इस ग्रह को काफी नुकसान पहुंचाया है और यह लगभग अब मरम्मत से परे है।”

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