CAG रिपोर्ट में बिहार सरकार द्वारा 80,000 करोड़ रुपये के ‘गबन’ की आशंका, Nitish Kumar नहीं दे रहे हिसाब
अपनी एक रिपोर्ट में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने बिहार सरकार के वित्तीय प्रबंधन के बारे में कई खामियां उजागर करते हुए कहा गया है कि, “79 हज़ार 690 करोड़ रुपये की राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र बार-बार माँगने पर भी नहीं दिया जा रहा है।” CAG ने रिपोर्ट में माना है की ‘लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र उस राशि के दुरुपयोग और गबन के जोखिम से भरा हो सकता है और 9155 करोड़ की अग्रिम राशि DC बिल के पेश नहीं किए जाने के कारण भी लंबित था।’
वित्त मंत्री और उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tarkishor Prasad) ने गुरुवार (2 दिसंबर) को बिहार विधान सभा में इस रिपोर्ट को पेश किया, जिसके लिखा है की, ‘राज्य सरकार ने जो क़रीब 18,872 करोड़ रुपये अपने विभिन उपक्रमों को दिये थे, उसके उपयोग का ऑडिट पिछले कई वर्षों से लंबित पड़ा है और साथ ही 2019-2020 के दौरान पहली बार 1784 करोड़ के राजस्व घाटे की पुष्टि की गयी है और राजस्व प्राप्ति में भी 7561 करोड़ की कमी आयी, जो बजट आँकलन के अनुसार 29.71 प्रतिशत कम था।’
CAG की इस रिपोर्ट पर बिहार सरकार ने कहा कि, “CAG की रिपोर्ट में कुछ भी चौंकाने वाला नहीं है, और जहाँ तक 80 हज़ार करोड़ के ख़र्च का हिसाब ना देने का ज़िक्र है, तो वो अधिकांश पंचायती राज या शिक्षा या समाज कल्याण विभाग से संबधित है, जो पिछले कई वर्षों से पेंडिंग रहा है। लेकिन ये कहना ग़लत है कि पैसे का गबन हो गया। सरकारी उपक्रम का ऑडिट कई दशकों से लंबित रहा है और इस राशि का समायोजन उतना आसान नहीं हैं।”
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