वसुंधरा सरकार लाएगी कानून, पूरी तरह से ‘महफूज’ होंगे अफसर और जज
जयपुर। पीएम मोदी देश में पारदर्शिता और वीआईपी कल्चर खत्म करने की बात करते हैं लेकिन शायद ये बातें दिल्ली तक ही या फिर यूं कहें कि उन तक ही सीमित रहती हैं। तभी तो लाल बत्ती हटा कर भी नेता टाइट सिक्योरिटी के साथ वीआईपी होने की हनक दिखाते हैं तो दूसरी तरफ राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिससे नेता, अफसर और जज पूरी तरह से ‘महफूज’ रहेंगे।
बीते दिनों वसुंधरा सरकार ने राजस्व बढ़ाने का एक ऐसा तरीका निकाला था, जिसमें ‘चोरों’ को इनाम दिया जाएगा और अब सरकार एक ऐसा बिल लाने जा रही है, जिससे नेता, अफसर और जज पर एफआईआर तक करना मुश्किल हो जाएगा। इस विवादास्पद कानून को लेकर राजस्थान सरकार सुर्खियों में आ चुकी है।
यह भी पढ़ें : दबंगों की होगी राजस्थान की ‘वसुंधरा’, आई खास स्कीम सिर्फ ‘माफियाओं’ के लिए!
राजस्थान सरकार सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में राजस्थान सरकार एक ऑर्डिनेन्स लाने जा रही है। इस अधिसूचना के मुताबिक राज्य के अफसरों, विधायकों-सांसदों और जजों के खिलाफ पुलिस या अदालत में शिकायत करना आसान नहीं होगा।
इस आर्डिनेंस के बाद सरकार की मंजूरी के बिना इनके खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं कराया जा सकेगा। यही नहीं, जब तक एफआईआर नहीं होती, मीडिया में इसकी रिपोर्ट भी नहीं की जा सकेगी।
ऐसे किसी मामले में मीडिया में किसी का नाम लेने पर दो साल की सजा भी हो सकती है। इसे मीडिया के अधिकारों पर भी शिकंजे के रूप में देखा जा रहा है।
यह भी पढ़ें : मोदी को पीएम बनते नहीं देखना चाहती थीं सीएम वसुंधरा राजे!
इसके अनुसार, किसी न्यायाधीस या नेता की किसी कार्रवाई के खिलाफ, जो कि उसने अपनी ड्यूटी के दौरान की हो, आप कोर्ट के जरिए भी एफआईआर दर्ज नहीं कर सकते। ऐसे मामलों में एफआईआर के लिए पहले सरकार की मंजूरी आवश्यक होगी।
अगर सरकार मंजूरी नहीं देती तो 180 दिनों के बाद यानी करीब 6 महीने बाद किसी पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ कोर्ट के जरिए एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है।
ऐसे ‘आरोपी’ का नाम तब तक मीडिया में नहीं आ सकता जब तक कि सरकार इसकी इजाजत ना दे दे। अगर अनुमति से पहले ऐसा हुआ तो 2 साल तक की सजा का मिलेगी।