सूरज की तपिश के आगे क्यूँ हार नहीं मानेगा ‘नासा सोलर प्रोब’, जानें क्यूँ है खास

‘पार्कर सोलर प्रोब’ अंतरिक्ष में गोलाकार कक्षा से जाते हुए सात लाख किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार तक जाएगा। ये रफ्तार अंतरिक्ष यान के इतिहास में सबसे ज्यादा है। सूर्य की परिक्रमाएं करने के दौरान वह सूर्य की सतह से महज 38 लाख मील दूरी तक पहुंच जाएगा, जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है। हालांकि इस अंतरिक्ष यान के सूर्य से सबसे नजदीक पहुंचने की सबसे बड़ी चुनौती इसे जलने से बचाने की होगी।

नासा सोलर प्रोब

इंसानों द्वारा बनाया गया यह अब तक का पहला सबसे तेज स्‍पेस मिशन है। इसी स्‍पीड से पार्कर सोलर प्रोब सूरज के नजदीक 6.12 मिलियन किलोमीटर की दूरी तक जाएगा। यानि यह प्रोब सूरज की वातावरण की जांच के दौरान उससे करीब 60 लाख किलोमीटर दूर होगा।

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पार्कर सोलर प्रोब सूरज के कोरोना यानि सूरज के आसपास के कई लाख किमी के खतरनाक तापमान वाले दायरे में चक्‍कर लगाएगा। इसके बावजूद यह प्रोब पिघलेगा कैसे नहीं, यह सवाल दुनिया भर के लोगों को परेशान कर रहा है। बता दें कि यह प्रोब वास्‍तव में कई मिलियन यानि लाखों डिग्री सेल्सियस वाले तापमान और सूरज की भीषण रोशनी के बीच होगा लेकिन इसकी हीट शील्ड को ऐसा बनाया गया है कि इतने भयानक तापमान पर भी प्रोब की मशीनों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

नासा ने इसके बारे में खुलासा किया है कि सूर्य के कोरोना का तापमान पर भले ही लाखों डिग्री सेल्सियस हो लेकिन वास्‍तव में प्रोब की हीटशील्‍ड को 1400 डिग्री सेल्सियस तक का ही तापमान झेलना पड़ेगा। इसके पीछे की वजह के बारे में नासा ने भौतिक विज्ञान का एक फैक्‍ट बताया है।

जिसके मुताबिक स्‍पेस पूरी तरह से खाली है, ऐसे में वहां बहुत कम ऐसे पार्टिकल्‍स या कण मौजूद होते हैं जो तापमान और ऊर्जा को दूसरे किसी ऑब्‍जेक्‍ट तक ट्रांसफर कर सकें। इसके अलावा प्रोब का घनत्‍व भी बहुत कम होने के कारण इस तक पहुंचने वाली गर्मी बहुत कम हो जाएगी। यही वजह है कि कोरोना का तापमान लाखों डिग्री होने के बावजूद प्रोब की हीट शील्‍ड पर 1400 डिग्री की ही गर्मी पहुंचेगी।

 

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