नरोदा पाटिया दंगा: माया कोडनानी बरी, बाबू बजरंगी को मौत तक जेल की सजा

नई दिल्ली: साल 2002 में हुए नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में आज हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. ये दंगे अहमदाबाद में हुए थे. गुजरात दंगे के बाद नरोदा पाटिया में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी. जबकि 33 लोग घायल हुए थे. इस केस में हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच ने पिछले साल अगस्त में फैसला सुरक्षित रख लिया था.

गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में बाबू बजरंगी को दोषी करार दिया है. बाबू बजरंगी को मौत तक जेल की सजा सुनाई गई है. वहीं पूर्व मंत्री माया कोडनानी को गुजरात हाईकोर्ट से राहत मिली है. गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में उन्हें निर्दोष करार दिया है.

नरोदा पाटिया नरसंहार

अगस्त 2012 में एसआईटी मामलों के लिये विशेष अदालत ने राज्य की पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी समेत 32 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

कोडनानी को 28 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी. एक अन्य बहुचर्चित आरोपी बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

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सात अन्य को 21 साल के आजीवन कारावास और शेष अन्य को 14 साल के साधारण आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

निचली अदालत ने सबूतों के अभाव में 29 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था. दोषियों ने निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी.  वहीं विशेष जांच दल ने 29 लोगों को बरी किये जाने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.

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ये था मामला

28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद में स्थित नरोदा पाटिया इलाके में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस दंगे में 33 लोग घायल भी हुए थे. ये घटना 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन जलाए जाने के एक दिन बाद हुई थी. विश्व हिंदू परिषद ने 28 फरवरी, 2002 को बंद का आह्वान किया था. इसी दौरान नरोदा पटिया इलाके में उग्र भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमला कर दिया था.

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