इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रही नैनीताल की खूबसूरत झील, गहराया जल संकट

कंचन वर्मा

नैनीताल। पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है लेकिन इस बार पहाड़ को भी जल संकट झेलना पड़ सकता है। नदियों में जलस्तर लगातार कम हो रहा है, वहीं प्राकृतिक जल स्रोत सूखने लगे हैं। इतना ही नहीं गांवों के आस-पास धारे-नौले में पानी गर्मी पड़ने के साथ ही सूखने लगे हैं। पहाड़ों में जल संकट इस कदर बढ़ने लगा है कि लोगों के लिए पीने के पानी की भी समस्या बढ़ती दिखाई देने लगी है।

जल संकट

गौरतलब है कि पिछले दिनों कम बारिश होने से जल संकट सामने आ रहा है। नैनीताल भी पानी के संकट की चपेट में आने लगा हैं क्योकि यहां जल स्रोत का पानी अब न के बराबर है। इस बार अप्रैल में सामने आ रही दिक्कते मई और जून के महीने में और ज्यादा भीषण होने के संकेत दे रही है।

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नैनीताल में पानी की किल्लत के पीछे मूल कारण है जल उपलब्धता की तुलना में माँग में वृद्धि। जिसका प्रमुख कारण है कि तेजी से बढ़ती आबादी, पानी की बेतहाशा बर्बादी को भी नकारा नहीं जा सकता। पाइप लाइनों की टूट-फूट, रख-रखाव व लापरवाही के चलते अन्धाधुन्ध पानी बेकार बहता रहता है।

नैनीताल में लगातार आबादी बढ़ रही है। जल स्रोत लगभग सभी सूख चुके है क्योकि नैनीताल चारो ओर से अब कंकरीट का जंगल बन चुका है। जिस तरह आबादी बढ़ रही है उसके साथ-साथ ऊर्जा की आवश्यकता भी बढ़ रही है। परिणामस्वरूप पानी का उपयोग और उपभोग भी बढ़ रहा है। यही वजह है कि पर्याप्त पानी यहां के लोगों को नहीं मिल पा रहा है।

जगह-जगह पानी की पाइप लाइन टूटी होने के कारण जहां पानी व्यर्थ बह रहा है। रात के समय पानी आने पर लोगों को रोजमर्रा के कार्य जैसे कपड़े धोना आदि काम करना पड़ता है।

जबकि एक महीने से वेस्ट हो रहे पानी पर अभी भी विभाग की नजर नहीं गयी है। लोगों ने विभाग पर आरोप लगाया है कि इस समस्या की जानकारी विभाग को देने के बावजूद भी आजतक कोई उचित कदम विभाग द्वारा नहीं लिया गया है। शहर में जहां आगामी सीजन को लेकर पानी की रोस्टिंग की जा रही है तो वहीँ दूसरी तरफ विभाग की लापरवाही के चलते पीने के पानी की बर्बादी भी हो रही है।

पानी की आपूर्ति पम्पिंग की एक जटिल प्रणाली पर आधारित है। वसंत के स्रोत से, एक्यू पाइपलाइन वितरण के लिए मुख्य रूप से सार्वजनिक स्टैंडपोस्टों पर दी जाती है। नैनी झील के किनारे ट्यूबवेल से, पानी एक जलीय जलाशय में पंप किया जाता है।

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नैनीताल में 100 साल पुरानी पाइपयुक्त पानी की आपूर्ति है, जो कि कुमाऊं क्षेत्र में सबसे पुरानी है। बढ़ती आबादी के कारण पानी की मांग को पूरा करने के लिये पंप द्वारा पानी की आपूर्ति के लिये प्रावधान किया गया था। पर्यावरण और पर्यटन आकर्षण के संदर्भ में नैनी झील नैनीताल में सबसे महत्त्वपूर्ण जल निकाय है।

अन्य कुमाऊं झीलों की तुलना में, नैनीताल झील में सबसे बड़े मानव निर्मित परिवर्तन और क्षेत्र की जलवायु परिस्थितियों में चरम परिवर्तन का भी अनुभव होता है। नैनीताल झील के जलस्तर में गिरावट पर्यावरणविदों के बीच एक चिंता का कारण है, जिसका प्रमुख कारक गर्मियों के दौरान जल आपूर्ति के उद्देश्यों के लिये झील के पानी के अत्यधिक इस्तेमाल करना है। हाल के वर्षों में अनियोजित निर्माण, अतिक्रमण क्षेत्र में वृद्धि, सर्दी की वर्षा में कमी और 2017 की शुरुआत में मानसून में कमी के कारण पानी की किल्लत और ज्यादा बढ़ गयी है।

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