“Mathura में नहीं, तो क्या Pakistan के Lahore में बनेगा भगवान कृष्ण का मंदिर”: मंत्री Lakshmi Narayan

अयोध्या में राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने से पहले, लगभग हर चुनाव में भाजपा का अहम मुद्दा राम जन्म भूमी ही होता था और भाजपा इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ती थी। जब राम मंदिर का मुद्दा चल रहा था और बाबरी मस्जिद गिराई गई थी, तब एक नारा दिया गया था, “रामलला तो झांकी है, काशी मथुरा बाक़ी है”। मतलब यह की, अयोध्या में ‘बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमी’ के बाद, काशी (बनारस) में ‘काशी विश्वनाथ मंदिर-ग्यानवापी मस्जिद’ और मथुरा में ‘कृष्ण जन्म भूमी-शाही ईदगाह’ का मामला अभी बाक़ी है। अब, जब अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुना दिया है, तो अब बारी आती है मथुरा में कृष्ण जन्म भूमी की।

नवंबर में अखिल भारत हिन्दू महासभा की अध्यक्ष राज्यश्री चौधुरी ने एक महासभा की योजना का ख़ुलासा करते हुए कहा था कि, “मेरे संगठन के पदाधिकारी, सदस्य एवं आम हिन्दू मतावलंबी जन आग़ामी 6 दिसंबर को श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर स्थित शाही ईदगाह में भगवान लड्डू-गोपाल का जलाभिषेक करेंगे।” इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री चौ. लक्ष्मी नारायण ने यह सवाल किया है की, “भगवान कृष्ण का मंदिर मथुरा में नहीं, तो क्या पाकिस्तान के लाहौर में बनेगा?”

उन्होंने कहा की, “वर्तमान में जिस स्थान पर शाही ईदगाह है, वहाँ पहले कभी कंस का कारागार हुआ करता था और उसी कारागार में बंद माता देवकी एवं वासुदेव की आठवीं संतान भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। उनका मंदिर वहीं बनाया जाना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर मथुरा में नहीं तो क्या लाहौर में बनेगा? जब भगवान श्रीकृष्ण मथुरा में पैदा हुए तो उनका मंदिर भी यहीं बनना चाहिए।”

मंत्री के इस इस बयान के बाद अनेक संगठनों, संस्थाओं आदि की ओर से श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह को लेकर अनेक कार्यक्रमों की घोषणा करने की झड़ी लग गई। इसको मद्देलज़र रखते हुए ज़िला प्रशासन ने विभिन्न कारणों को लेकर ज़िले में 24 नवंबर से 21 जनवरी तक निषेधाज्ञा लागू कर ऐसे किसी भी कार्यक्रम के आयोजन पर रोक लगा दी है।

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