क्रोध पर काबू पाने का सबसे आसान तरीका, बस खुद पर लागू करें ये तरीका

एक गांव में रामू नाम का एक व्यक्ति रहता था, वह बात-बात पर चिढ़ जाता। दूसरों पर झुंझला उठता और बहुत गुस्सा किया करता था। उसके परिवार वाले उसके गुस्से को लेकर चिंतित थे।

क्रोध

रामू जैसे-जैसे बड़ा हो रहा था, उसकी ये एक गलत आदत बनती जा रही थी। लेकिन वह भी दूसरों से प्यार पाना चाहता था, उसे लगने लगा था कि गुस्सा उसके संबंधों को नष्ट कर रहा है।

रामू का एक अच्छा दोस्त भी था. वह उसे अच्छी तरह से समझता था और उसे यह एहसास होने लगा था कि रामू बदलना चाहता है और वह गुस्से से छुटकारा पाना चाहता है। उन दिनों गांव से कुछ ही दूर पर एक संत का आना हुआ था, जो लोगों की समस्याओं का समाधान किया करते थे।

रामू का दोस्त उसे लेकर उन संत के पास पहुंच गया। उन्होंने अपनी सारी बातें संत जी को बताई और रामू रोनी सूरत लिए संत के पैरों में गिर पड़ा।

संत ने रामू का हाथ आगे करने के लिए कहा और निर्देश दिए कि जैसा मैं कहूँगा ठीक वैसा ही करना। रामू ने अपना हाथ आगे  करते हुए उनकी बातें ध्यान से सुनी।

संत जी बोले- अपनी मुठ्ठी बांध लो, और फिर तुरंत खोल दो। रामू ने वैसा ही किया।

संत जी पुनः बोले- अब ये प्रक्रिया बार बार दोहराते रहो।

रामू संत जी की बातें समझ नहीं पा रहा था लेकिन वह बार-बार मुठ्ठी बंद करके उसे खोलता जरूर।

ये प्रक्रिया बहुत बार करने के बाद रामू ने कहा- महात्मन ये आप क्या कर रहे हैं? कृपया मेरी समस्या का समाधान करें।

इस बार संत उसे बड़े ही प्यार से समझाते हुए बोले- बेटे! तुमने अपनी मुठ्ठी स्वयं बंद की और उसे स्वयं ही खोला। इससे ये आशय निकलता है कि तुम्हारे अंगों पर तुम्हारा ही नियंत्रण है. इसलिए तो तुमने अपनी मुठ्ठी बंद की और खोली।

ठीक इसी प्रकार अपने शरीर के अलावा विचारों के साथ भी मनुष्य अपने स्वयं पर ही नियंत्रण रख सकता है। चाहे उसने कितनी भी ज्ञान की बातें क्यों न पढ़ी या जानी हो।

संत जी बोले- जब भी तुम्हें गुस्सा आये, याद रखना तुम स्वयं ही उसे नियंत्रित कर सकते हो। हम दूसरों को चाहकर भी काबू में नहीं कर सकते लेकिन खुद पर नियंत्रण रखना हमारे हाथ में है।

रामू, संत की बातें स्पष्ट रूप से समझ चुका था और उसने अब स्वयं पर नियंत्रण करने की आदत डालनी शुरू कर दी।

शिक्षा: गुस्सा करना, किसी पर झुंझलाना बहुत गलत बात है, लेकिन न चाहकर भी हम ये गलती बार-बार करते हैं। गुस्सा के कारण न सिर्फ हमारा नुकसान होता है बल्कि हम सामने वाले की नजरों में भी ख़राब इमेज बना बैठते हैं।

याद रखिये, आपकी सफलता में सबसे बड़ा योगदान आपके स्वयं का ही होगा और आपकी असफलता में भी सबसे बड़ा योगदान आपके स्वयं का ही होगा। चुनाव आपके स्वयं का है, आप खुद पर कंट्रोल करेंगे या फिर उलझन भरी ज़िंदगी जिएंगे।

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