रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव, पीएम मोदी के फैसले को बताया देश के लिए हानिकारक

मौद्रिक नीतिमुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में बुधवार को समिति की बैठक बुलाई गई है। मौद्रिक नीति समिति की इस बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट को लेकर यह निर्णय देश में बढ़ती महंगाई और अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को देखते हुए लिया गया है।

वर्तमान में रेपो रेट 6 फीसद ही है और आगे भी यथावत बनी रहेगी। देश में वस्तु व सेवा कर का जिस तरह से क्रियान्वयन किया जा रहा है उस पर भी मौद्रिक नीति समिति की बैठक ने नाखुशी जाहिर की है। रेपो रेट में कोई बदलाव न करते हुए आरबीआई ने एक ऐसा फैसला भी लिया है जिसके बाद मोदी सरकार के सारे दावों की हवा निकलना लाजमी है। दरअसल आरबीआई ने विकास दर के अपने पिछले अनुमान को भी घटा दिया है। यह दर 7.3 फीसदी से घटकर 6.7 फीसदी पर आ गई है।

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सीआरआर में भी नहीं हुआ बदलाव

रेपो रेट के अलावा कैश रिजर्व रेशियो में भी रिजर्व बैंक ने कोई बदलाव नहीं किया है। पूर्व की तरह ही यह 4 फीसदी पर बरकरार है। वहीं समिति की बैठक ने एसएलआर (सांविधिक नकदी अनुपात) में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। जिसके बाद अब यह 20 से घटकर 19.5 फीसदी ही रह गई है।

मोदी सरकार के सबसे बड़े कदम से नाखुश आरबीआई

मोदी सरकार के सबसे बड़े फैसलों में से एक जीएसटी को लागू करना भी आरबीआई को खटक रहा है। रिजर्व बैंक ने वस्तु और सेवा कर के क्रियान्वयन से नाखुशी जाहिर की है। समिति का कहना है कि जीएसटी के लागू होने के बाद से ही देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता नजर आ रहा है और इसकी वजह से ही लघु अवधि के मैन्युफैक्च‍रिंग सेक्टर के लिए दिक्कतें पैदा हुई हैं। यही नहीं देश में होने वाला निवेश भी इससे प्रभावित होगा।

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घटाया विकास दर का अनुमान

समिति की बैठक में आरबीआई ने मोदी सरकार को बड़ा झटका देते हुए देश की इकोनॉमी की विकास दर का अनुमान भी घटा दिया है। जो विकास दर पहले 7.3 फीसदी अनुमानित थी वह अब घटकर मात्र 6.7 फीसदी ही रह गई है। गौरतलब है कि आरबीआई ने बीते अगस्त माह में ही 7.3 फीसदी का यह अनुमान जारी किया था।

फीकी हुई दिवाली की चमक

आरबीआई की मौद्रिक समिति द्वारा रेपो रेट में कोई बदलाव न करने के बाद उन लोगों को बड़ा झटका लगा है जो दिवाली के मौके पर सस्ते कर्ज का इंतजार कर रहे थे। इसके साथ ही साथ रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि आने वाले समय में मंहगाई में भी इजाफा होगा। वित्त वर्ष 2017 की दूसरी छमाही में यह 4.2 से बढ़कर 4.6 की रेंज में रहेगी। इसके साथ किसानों को भी कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। क्योंकि रिजर्व बैंक का कहना है कि  किसानों की कर्ज माफी से राजकोषीय घाटे पर असर पड़ेगा।

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