जीएसटी के बाद अब इनकम टैक्स की बारी, बड़े बदलाव की तैयारी में मोदी सरकार

टैक्सनई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार जीएसटी में कई बड़े बदलाव के बाद अब इनकम टैक्स में भी कुछ परिवर्तन करने जा रही है। इनडायरेक्ट टैक्स व्यवस्था में बदलाव के बाद अब सरकार प्रत्यक्ष कर यानी डायरेक्ट टैक्स व्यवस्था में बड़े बदलाव की तैयारी में है। इस बारे में सुझाव देने के लिए कार्यदल का गठन किया गया है।

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मालूम हो कि प्रत्यक्ष कर में आयकर (इनकम टैक्स) और निगम कर (कॉरपोरेट टैक्स) आते हैं जबकि अप्रत्यक्ष कर में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) आते हैं।

वहीँ केंद्र और राज्यों के विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को मिलाकर बनाया गया जीएसटी इसी साल पहली अप्रैल से लागू किया गया है।

वित्त मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, 1-2 सितम्बर को हुए राजस्व ज्ञान संगम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आयकर कानून, 1961 पांच दशक से भी ज्यादा पुराना है और अब इसे नए सिरे से तैयार करने की जरुरत है।

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इसी के कारण देश की आर्थिक जरुरतों में आयकर कानून की समीक्षा करने और नया मसौदा तैयार करने की जरुरत है। बयान के मुताबिक, ‘इस काम के लिए एक कार्यदल के गठन को मंजूरी दी गयी है’

इन चार मुद्दों पर कार्यदल को करना है विचार

1- विभिन्न देशों में प्रचलित प्रत्यक्ष कर व्यवस्था, 2- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख प्रचलित व्यवस्था 3- देश की आर्थिक जरुरतें व अन्य संबंधित मुद्दे।

ये होंगे कार्यदल के सदस्य

कार्यदल के संयोजक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के संयोजक अरबिंद मोदी होंगे जबकि चाटर्ड अकाउंटेंट गिरीश आहूजा, ईवाई के भारतीय प्रमुख राजीव मेमानी, इक्रीयर में सलाहकार मानसी केडिया अहमदाबाद के कर अधिवक्ता मुकेश पटेल और भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी जी सी श्रीवास्तव कार्यदल के सदस्य होंगे। इसके अलावा मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यिन स्थायी आमंत्रित सदस्य होंगे।

बता दें कार्यदल को छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी है।

यूपीए सरकार के दौरान भी खींची गई थी रूपरेखा

मनमोहन सिंह सरकार के दौरान भी प्रत्यक्ष कर की व्यवस्था में बदलाव की रूपरेखा बनाई गयी थी। उस दौरान एक समिति के सुझावों के आधार पर डायरेक्ट टैक्स कोड का मसौदा तैयार किया गया और उसके बाद एक बिल- 2010 में लोकसभा में पेश भी किया गया। प्रयास ये थी कि अगर बिल कानून बन गया तो पहली अप्रैल 2012 से लागू भी कर दिया जाएगा।

बिल में वैसे तो टैक्स की दरें आम लोगों के लिए 10, 20 और 30 फीसदी तक रखे जाने की बात कही गयी, लेकिन कई तरह की कर रियायतों को खत्म करने का भी प्रस्ताव रखा गया। कर व्यवस्था को सरल बनाने का भी प्रावधान था जिसके लिए धाराओं की संख्या 319 और अनुसूचियों की संख्या 22 कर दी गयी।

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मनमोहन सरकार ने इसे लोकसभा में पास कराने में नाकामयाब रही। नतीजा 2014 में 15वीं लोकसभा के कार्यकाल खत्म होने के साथ ही इस बिल की वैधता खत्म हो गयी। मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद अप्रत्यक्ष कर में बदलाव के लिए तो पिछली सरकार के प्रयास को आगे बढ़ाया, लेकिन प्रत्यक्ष कर पर ऐसा नहीं किया। फिलहाल, तीन साल बाद मोदी सरकार ने इसे लेकर पहल की है।

2019 में आम चुनाव के ठीक पहले हो सकता है बदलाव

समिति की रिपोर्ट अगले साल मई तक आने की उम्मीद है, इसीलिए 2018-19 के आम बजट में प्रत्यक्ष कर में भारी बदलाव की उम्मीद नहीं है। लेकिन उम्मीद है कि 2019 में आम चुनाव के ठीक पहले अंतरिम बजट में सरकार प्रत्यक्ष कर में बदलाव की रुपरेखा पेश कर सकती है जबकि नयी सरकार बनने के बाद इस मामले में और जो भी आवयश्क कदम होंगे उनको लेकर फैसले लिए जाने की उम्मीद है।

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