मेहुल चोकसी प्रत्यर्पण मामले में एंटीगुआ भारत के आग्रह की कर रहा जांच

नई दिल्ली। एंटीगुआ और बरबुडा सरकार भगोड़े हीरा कारोबारी के प्रत्यर्पण के भारत सरकार के आग्रह की जांच-पड़ताल कर रही है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी। मेहुल चोकसी 13,500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले का मुख्य आरोपी है और भगोड़े ने अब इस कैरीबियाई देश की नागरिकता ले ली है।

मेहुल चोकसी

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “हमने चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए एंटीगुआ और बरबुडा सरकार से 3 अगस्त को आग्रह किया था। हमारे प्रत्यर्पण अधिनियम के आधार पर भारत व एंटीगुआ और बरबुडा के साथ प्रत्यर्पण व्यवस्था है।”

कुमार ने कहा, “एंटीगुआ और बरबुडा के प्रत्यर्पण अधिनियम 1993 के प्रावधानों के अंतर्गत, एक व्यक्ति को एक नामित कॉमनवेल्थ देश या राज्य को प्रत्यर्पित किया जा सकता है, जिसके साथ एक आम या विशेष व्यवस्था या एक द्विपक्षीय समझौता है।”

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कुमार के अनुसार, एंटीगुआ और बरबुडा सरकार ने वर्ष 2001 में भारत को नामित देश का दर्जा दिया था, जबकि नई दिल्ली ने 3 अगस्त को राजपत्र अधिसूचना जारी किया था, जिसमें देश के 1962 के प्रत्यर्पण अधिनियम के प्रावधानों को एंटीगुआ ओर बरबुडा के साथ 2001 से प्रभावी बनाने के निर्देश दिए गए हैं।

उन्होंने कहा, “अब प्रत्यर्पण आग्रह करने के बाद, हमें बताया गया है कि वह हमारे आग्रह की जांच-पड़ताल कर रहे हैं।”

कुमार ने कहा, “इसलिए उनके औपचारिक प्रतिक्रिया मिलने तक अभी प्रतिक्रिया देना थोड़ा अपरिपक्व होगा।”

मामले के अन्य आरोपी नीरव मोदी के बारे में प्रवक्ता ने कहा कि विदेश मंत्रालय ने उन्हें प्रत्यर्पित करने के ईडी के आग्रह को 3 अगस्त को ब्रिटेन के केंद्रीय अधिकारी को पहुंचा दिया है और साथ ही कहा कि ‘हम इस मामले में ब्रिटेन सरकार के प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं।’

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वहीं 9,000 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में वांछित भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के बारे में कुमार ने कहा कि फरवरी, 2017 में प्रत्यर्पण आग्रह के बाद, मामला वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ऑफ लंदन के पास लंबित है।

उन्होंने कहा, “दिसंबर, 2017 में प्रत्यर्पण की सुनवाई शुरू हुई थी और इस मामले में अंतिम सुनवाई 31 जुलाई को हुई है। मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को होगी।”

शिवसेना का कहना है कि नीरव मोदी और मेहुल चोकसी भाजपा को हर चुनाव में करोड़ों रुपये दिया करते थे।

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